रीवा। रीवा के पुराने जिला सत्र न्यायालय भवन का निर्माण 1952-53 में हुआ था, जो विंध्य प्रदेश में न्याय व्यवस्था स्थापित करने के लिए बनाया गया था। यह भवन राजाओं के ज़माने का है और कई दशक पुराना है। जिसमें कस्तूरी संथानन ने न्याय व्यवस्था स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह भवन प्राचीन इतिहास की गाथा को बयां करता है और विंध्य प्रदेश में न्याय व्यवस्था की मजबूती का प्रतीक है।
न्यायिक व्यवस्था का विकास
रीवा राजशाही के दौरान ही लिखित कानून बनाए गए, जिसमें प्रमुख कानून रीवा राज माल कानून, 1935 था। विंध्य प्रदेश बनने के बाद, 1 सितंबर 1948 को मुख्य न्यायाधीश रायबहादुर पीसी मोघा द्वारा विंध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय का उद्घाटन किया गया। 1956 में मध्य प्रदेश के गठन के बाद, विंध्य प्रदेश के न्यायिक आयुक्त का न्यायालय मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में विलय कर दिया गया। तब से यह न्यायालय भवन न्याय के मंदिर के रूप में स्थापित रहा है।

आखिर क्यू पड़ी नए न्यायालय भवन की जरूरत
कोर्ट में बढ़ती भीड़ और शहर के बढ़ते दबाव के कारण, शहर के दूसरे स्थान पर नए और आधुनिक कोर्ट भवन का निर्माण करने का निर्णय लिया गया, जिसके बाद नया भवन बनकर तैयार किया गया। नए कोर्ट भवन का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद 4 मई 2025 को मुख्यमंत्री मोहन यादव के मुख्यअतिथी में नवीन भवन का उद्रधाटन किया गया था। अब 29 सिंतबर को नए भवन में न्याय व्यवस्था की शुरूआत हो गई है। ज्ञात हो कि नया न्यायालय भवन प्रदेश के नामचीन अत्याधुनिक भवन में सुमार है। जिसमें 95.93 करोड़ रुपये की लागत आई है।
ऐसा है नया न्यायालय भवन
नव निर्मित न्यायालय के सर्विस बिल्डिंग में होल्डिंग सेल, पुलिस चौकी, पब्लिक प्रोसिक्यूटर, कॉमन रूम, रिकार्ड रूम, मेन ऑफिस, नाजिर ऑफिस, नजारत, एकाउंट ऑफिस, मालखाना कक्ष, स्टैटिक ऑफिस कक्ष, स्टेशनरी कक्ष, गवर्मेंट रीडर तथा लगभग 750 अधिवक्ताओं के लिए तीन हाल की सुविधा प्रदान की गई है। नवीन न्यायालय के बार बिल्डिंग में बैंक, पोस्ट ऑफिस, डिस्पेंसरी बार, लाइब्रेरी, पिटिशन राइटर, कैंटीन, स्टोर रूम और अधिवक्ताओं के लिए 296 कक्ष बनाए गए हैं। इसके अलावा यहां पार्किंग की विशेष सुविधा भी उपलब्ध है। इस न्यायालय परिसर को आधुनिक और विशाल रूप दिया गया है।
