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Maharashtra Assembly Election : महाराष्ट्र चुनाव में उलेमा बोर्ड ने एमवीए के सामने रखा 14 सूत्रीय प्रस्ताव! पुनः दोहराया जा रहा बंटवारे का इतिहास

Maharashtra Assembly Election : महाराष्ट्र चुनाव Maharashtra Assembly Election में नया मोड़ आ गया है। दरअसल, उलेमा बोर्ड ने महाविकास अघाड़ी गठबंधन के सामने अपनी 14 सूत्री मांगें रखी हैं। प्रस्ताव में जो मांगें रखी गई हैं, वे वैसी ही हैं जैसी देश आजाद होने से पहले 1929 में मोहम्मद अली जिन्ना ने कांग्रेस के सामने रखी थीं। फर्क सिर्फ इतना था कि तब देश आजाद होने वाला था और अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव Maharashtra Assembly Election होने वाले हैं। तब भी मुसलमानों ने अपने लिए विशेष सुविधाओं की मांग की थी और अब भी उन्होंने लंबी सूची तैयार कर ली है।

सवाल गंभीर हैं कि क्या महाराष्ट्र में फिर से इतिहास दोहराया जा रहा है? दोनों मांगों में आश्चर्यजनक समानताएं हैं, जिससे देश में फिर से द्विराष्ट्र सिद्धांत की मानसिकता के पनपने का डर पैदा हो गया है। इन दोनों चार्टर में मुस्लिम समुदाय के लिए आरक्षण, नौकरी और सरकार में प्रतिनिधित्व जैसे मुद्दों को जोर-शोर से उठाया गया है, जो उन दिनों की याद ताजा कराता है, जब भारत के बंटवारे की पृष्ठभूमि तैयार हुई थी।

ऑल इंडिया उलेमा काउंसिल की मांगों में जिन्ना की झलक।

1929 के जिन्ना के प्रस्ताव को भारत में मुस्लिम हितों की रक्षा के लिए अलग मुस्लिम राष्ट्र की मांग की दिशा में पहला कदम माना जाता है, वहीं ऑल इंडिया उलेमा काउंसिल की मांगों में भी यही देखा जा सकता है। उलेमा बोर्ड ने अपने 14 सूत्री प्रस्ताव में बताया है कि अगर महाराष्ट्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) की सरकार बनती है तो वह क्या चाहता है। वहीं दूसरी ओर एमवीए का उलेमा बोर्ड की मांगों को समर्थन दो राष्ट्र सिद्धांत की मानसिकता को और मजबूत कर सकता है।

जानिए क्या हैं उलेमा बोर्ड की 14 सूत्री मांगें? Maharashtra Assembly Election

देश को आजाद हुए 75 साल हो चुके हैं, इतने सालों के बाद महाराष्ट्र में फिर से बंटवारे का इतिहास दोहराया जा रहा है, मोहम्मद अली जिन्ना की तरह ऑल इंडिया उलेमा काउंसिल ने भी महाराष्ट्र में 14 सूत्री मांगें रखी हैं मांगों में महाराष्ट्र के 48 जिलों में मस्जिदों, कब्रिस्तानों और दरगाहों की जब्त जमीन का सर्वेक्षण कराना, महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड के विकास के लिए 1,000 करोड़ रुपये देना, 2012 से 2024 तक दंगों के सिलसिले में जेल में बंद निर्दोष मुसलमानों को रिहा करना और मौलाना सलमान अजहरी को जेल से रिहा करना शामिल है।

उलेमा बोर्ड की मांगों के आगे नतमस्तक हुई कांग्रेस।

उलेमा बोर्ड आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने और भड़काऊ बयान देने वाले मौलाना सलमान अजहरी की रिहाई की मांग कर रहा है। बोर्ड ने महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले को अपनी मांगों का पत्र सौंपकर एमवीए को अपना समर्थन खुले तौर पर घोषित किया है। अपनी 17 मांगों में उसने अत्याचारी मुसलमानों को जेल से रिहा करने और हिंदू संतों और भाजपा नेताओं की गिरफ्तारी की मांग की है। यह स्पष्ट है कि उलेमा बोर्ड मुस्लिम सांप्रदायिकता को हवा देना चाहता है, लेकिन हिंदुओं का मुंह बंद करने का सपना देखता है। यह आश्चर्यजनक है कि वोट के लिए उलेमा बोर्ड की इस ब्लैकमेलिंग रणनीति को कांग्रेस गठबंधन ने खुले दिल से स्वीकार कर लिया है।

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