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उज्जैन के स्वच्छता माडल का वाराणासी, हरिद्वार, नासिक में भी हो सकता है प्रयोग, करेगे स्टडी

उज्जैन। एमपी के महाकाल का नगर उज्जैन इस बार भारत सरकार के स्वच्छता में खरा उतरा है और यह शहर अब साफ-सुथरा शहरों में सुमार है। यही वजह है कि केन्द्र सरकार के द्वारा कराए गए स्वच्छता सर्वेक्षण में उज्जैन को पुरस्कार मिला है।

ये शहर करेगे स्टडी

उज्जैन की सफाई व्यवस्था को अब अन्य शहर भी सीखने का मन बना रहे है। जो जानकारी आ रही है उसके तहत वाराणासी, हरिद्वार, नासिक जैसे धार्मिक शहर अब उज्जैन की स्टडी करेगे। माना जा रहा है कि वाराणासी, हरिद्वार, नासिक जैसे धार्मिक शहर इस सफाई व्यवस्था को अपना सकते है।

इन बिंदुओं पर फोकस

दरअसल उज्जैन की सफलता के लिए 5 प्रमुख वजह है। जिसमें आस्था आधारित व्यवस्था, आयोजन से स्थायित्व, तकनीकी एकीकरण, प्रशासनिक प्रतिबद्धता और जन सहयोग। कुछ ऐसे बिंदुओं से उज्जैन में स्वच्छता माडल का मूर्त रूप दिया गया था।

मालूम हो कि उज्जैन को इस लीग में स्थान मिलना किसी संयोग का परिणाम नहीं, बल्कि लगातार आठ वर्षों के सुनियोजित प्रयासों, प्रशासनिक इच्छाशक्ति और नागरिक भागीदारी का परिणाम है। स्वच्छता को ‘धार्मिक कर्तव्य’ मानने की सोच ने यहां एक सांस्कृतिक आंदोलन का रूप ले लिया है। शहर में वर्ष 2016 से कचरा प्रसंस्करण संयंत्र कार्यरत है, जो देश के कई शहरों के लिए एक उदाहरण बना। यहां विकसित की गई सिवरेज नेटवर्किंग, मशीन-आधारित सफाई और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली ने उज्जैन को सतत स्वच्छता के मॉडल में बदल दिया।

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