महाराष्ट्र की राजनीति में एक ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला, जब शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) अध्यक्ष राज ठाकरे (Thackeray Cousins) 20 साल बाद एक मंच पर नजर आए। यह मौका था मुंबई के वर्ली में आयोजित ‘मराठी विजय मेलावा’ (Marathi Vijay Melava) का, जो मराठी अस्मिता (Marathi Pride) और भाषा की रक्षा के लिए आयोजित किया गया।
रैली का उद्देश्य महाराष्ट्र सरकार के उस फैसले की जीत का उत्सव था, जिसमें प्राथमिक स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने का प्रस्ताव वापस लिया गया
पिछले महीने महायुति सरकार (Mahayuti Government) ने कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा (Three-Language Policy) बनाने का प्रस्ताव रखा था, जिसका शिवसेना (UBT), MNS और अन्य मराठी संगठनों ने कड़ा विरोध किया। इन संगठनों का तर्क था कि यह कदम मराठी भाषा और संस्कृति (Marathi Culture) को कमजोर करेगा। भारी विरोध और प्रदर्शनों (Public Protests) के बाद सरकार ने 30 जून 2025 को यह प्रस्ताव वापस ले लिया। इस जीत को सेलिब्रेट करने के लिए उद्धव और राज ने एकजुट होकर इस रैली का आयोजन किया।
उद्धव और राज का संबोधन
रैली में उद्धव ठाकरे ने कहा, “मराठी भाषा हमारी पहचान है, और इसे कोई कमजोर नहीं कर सकता। यह एकता (Thackeray Unity) मराठी माणूस की ताकत का प्रतीक है।” वहीं, राज ठाकरे ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “मराठी अस्मिता (Marathi Identity) पर हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हमारी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देना हमारा कर्तव्य है।” दोनों नेताओं ने मराठी भाषा को संरक्षित करने के लिए शिक्षा नीति में सुधार और स्थानीय स्तर पर जागरूकता बढ़ाने की बात कही।
20 साल बाद एकजुटता का महत्व
2006 में शिवसेना से अलग होकर राज ठाकरे ने MNS बनाई थी, जिसके बाद दोनों भाइयों के रास्ते अलग हो गए थे। इस रैली ने न केवल मराठी अस्मिता (Marathi Nationalism) को मजबूत करने का संदेश दिया, बल्कि ठाकरे परिवार की एकता (Thackeray Family Unity) को भी प्रदर्शित किया। विश्लेषकों का मानना है कि यह एकता आगामी स्थानीय निकाय चुनावों (Local Body Elections) में बड़ा प्रभाव डाल सकती है।
रैली में हजारों समर्थकों (Supporters) की भीड़ उमड़ी, जिन्होंने मराठी भाषा और संस्कृति के समर्थन में नारे लगाए। रैली में मराठी साहित्यकारों, कलाकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं (Marathi Activists) ने भी हिस्सा लिया। आयोजकों ने दावा किया कि यह रैली महाराष्ट्र की सांस्कृतिक एकता (Cultural Unity) को और मजबूत करेगी।