Two Real Brothers Married The Same Girl In Himachal: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के शिलाई क्षेत्र में सदियों पुरानी बहुपति प्रथा अर्थात पॉलियंड्री एक बार फिर चर्चा का विषय बन गई है। हाल ही में कुन्हट गांव में एक युवती ने थिंडो खानदान के दो सगे भाइयों के साथ विवाह रचाकर इस प्राचीन परंपरा को जीवंत कर दिया। यह विवाह 12 से 14 जुलाई 2025 के बीच पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हुआ, जिसमें गांववासियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस अनूठी शादी ने न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि पूरे क्षेत्र में लोगों का ध्यान खींचा है।
हाटी समाज में प्रचलित है ‘उजला पक्ष’ प्रथा
हाटी समाज में इस बहुपति विवाह प्रथा को ‘उजला पक्ष’ या ‘जोड़ीदार प्रथा’ के नाम से जाना जाता है। इस प्रथा का मुख्य उद्देश्य संयुक्त परिवार की संरचना को बनाए रखना और संपत्ति के बंटवारे से बचाव करना है। सिरमौर जिले के गिरीपार क्षेत्र में यह परंपरा ऐतिहासिक रूप से प्रचलित रही है और इसे हिमाचल प्रदेश में कानूनी मान्यता भी प्राप्त है। इस कारण समाज में इसे नकारात्मक दृष्टि से नहीं देखा जाता, बल्कि यह सामाजिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक माना जाता है।इस विवाह की खासियत यह है कि दोनों दूल्हे पढ़े-लिखे और पेशेवर रूप से स्थापित हैं। एक भाई हिमाचल प्रदेश के जल शक्ति विभाग में कार्यरत है, जबकि दूसरा विदेश में नौकरी करता है। यह आधुनिकता और परंपरा का अनूठा संगम इस शादी को और भी विशेष बनाता है।
इस प्रथा का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
यह विवाह केवल एक व्यक्तिगत घटना नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश के रूप में भी देखा जा रहा है। यह परंपरा न केवल संयुक्त परिवार की अवधारणा को मजबूत करती है, बल्कि पहाड़ी क्षेत्रों में पलायन की समस्या को भी रेखांकित करती है। जानकारों का मानना है कि इस तरह की शादियां युवाओं को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़े रखने और स्थानीय परंपराओं को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। हिमाचल के किन्नौर, लाहौल और स्पीति जैसे अन्य पर्वतीय जिलों में भी बहुपति प्रथा किसी न किसी रूप में आज भी प्रचलित है। यह प्रथा न केवल सामाजिक संतुलन को बढ़ावा देती है, बल्कि आर्थिक स्थिरता और पारिवारिक एकता को भी सुनिश्चित करती है।