रीवा। टी.आर.एस. कॉलेज रीवा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर दो दिवसीय कार्यशाला संपन्न : नवीन पाठ्यक्रम संरचना, क्रेडिट प्रणाली और मूल्यांकन पद्धति पर विस्तृत चर्चा-शासकीय ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय, रीवा में मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशन तथा प्राचार्य डॉ. अर्पिता अवस्थी के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की नई संरचना पर केंद्रित दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन 11 एवं 13 अक्टूबर 2025 को किया गया। कार्यशाला के द्वितीय दिवस के सत्र की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ. अर्पिता अवस्थी ने की।
भारतीय उच्च शिक्षा को अधिक लचीला, बहुविषयी एवं शोधोन्मुखी बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम
उन्होंने कहा कि यह नीति भारतीय उच्च शिक्षा को अधिक लचीला, बहुविषयी एवं शोधोन्मुखी बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, उच्च शिक्षा को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने की दिशा में अग्रसर है। इसके माध्यम से विद्यार्थियों को विषय-चयन की स्वतंत्रता, कौशल विकास के अवसर तथा रोजगारोन्मुखी दृष्टिकोण प्राप्त होगा। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. संजय सिंह, विभागाध्यक्ष रसायनशास्त्र विभाग ने “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अन्तर्गत अध्यादेश 14 (2) के प्रमुख उद्देश्यों, संरचना एवं क्रियान्वयन प्रक्रिया” विषय पर विस्तृत व्याख्यान प्रस्तुत किया। कार्यशाला का संयोजन स्वशासी प्रकोष्ठ के उपनियंत्रक डॉ. अखिलेश शुक्ल द्वारा किया गया। कार्यशाला के दूसरे दिन अध्यादेश 14(2) के अंतर्गत स्नातकोत्तर कक्षाओं की नई संरचना, मूल्यांकन पद्धति, क्रेडिट प्रणाली, विषयवार प्रश्नपत्र संरचना, अंकों का विभाजन, उत्तीर्णांक निर्धारण तथा सतत समग्र मूल्यांकन की रूपरेखा पर विस्तृत चर्चा की गई। कार्यशाला में पाठ्यक्रमों में क्रेडिट ट्रांसफर, आंतरिक मूल्यांकन, गतिविधि आधारित मूल्यांकन तथा विद्यार्थी-केंद्रित शिक्षण दृष्टिकोण को शिक्षा की गुणवत्ता संवर्धन के लिए अत्यंत आवश्यक बताया। डॉ. संजय सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा लागू अध्यादेश 14(2), स्नातकोत्तर कक्षाओं के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020) एवं यू.जी.सी. के दिशानिर्देशों के अनुरूप एक नया पाठ्यक्रम एवं क्रेडिट ढांचा प्रदान करता है।
विद्यार्थियों के हित में इस तरह की शैक्षणिक गतिविधियों को सतत रूप से जारी रखने पर बल दिया गया
इसका उद्देश्य स्नातकोत्तर शिक्षा को आधुनिक, लचीला और गुणवत्ता आधारित बनाना है, ताकि विद्यार्थी राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप शिक्षा प्राप्त कर सकें। कार्यशाला में डॉ. अजयशंकर पाण्डेय, डॉ शालिनी दुबे, डॉ. श्रीनाथ पाण्डेय, डॉ. अच्युत पाण्डेय, डॉ. एस.पी. सिंह, डॉ. गायत्री मिश्रा, डॉ. एस.पी. शुक्ला, डॉ. उर्मिला वर्मा, डॉ. बी.के. शर्मा, डॉ. ज्योत्सना द्विवेदी, डॉ. नागेश त्रिपाठी, डॉ. निवेदिता टेम्भरे, डॉ. ममता कोरी, डॉ. विनोद विश्वकर्मा, डॉ. अश्वनी द्विवेदी, डॉ. अतुल कुमार शुक्ला आदि प्राध्यापकों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि यह कार्यशाला शिक्षण-प्रक्रिया में नई दृष्टि प्रदान करने वाली रही। महाविद्यालय परिवार ने इसे शिक्षण गुणवत्ता सुधार की दिशा में एक सार्थक पहल बताया। कार्यशाला के सफल आयोजन में महाविद्यालय के प्राध्यापकों, विभागाध्यक्षों, एवं तकनीकी टीम का विशेष योगदान रहा। समापन सत्र में उपस्थित अतिथियों ने आयोजन समिति को बधाई दी और विद्यार्थियों के हित में इस तरह की शैक्षणिक गतिविधियों को सतत रूप से जारी रखने पर बल दिया।

