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National Turmeric Board | कृषि क्षेत्र में शगुन लाएगा हल्दी आयोग ~डॉक्टर रामानुज पाठक

National Turmeric Board UPSC

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National Turmeric Board UPSC | भारत में हल्दी की खेती और उसके व्यापार को बढ़ावा देने के लिए हल्दी आयोग का गठन किया गया है। इस आयोग के गठन के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं।भारत विश्व में हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक है।हल्दी न केवल एक महत्वपूर्ण मसाला है बल्कि इसका उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं में भी होता है।हल्दी की खेती से किसानों की आय बढ़ाने के लिए आयोग बेहतर बीज, उन्नत खेती तकनीकों, सिंचाई सुविधाओं और बाजार उपलब्धता जैसी सुविधाएं प्रदान करेगा।आयोग हल्दी की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए बीज प्रमाणीकरण, खाद्य सुरक्षा मानकों को लागू करने और प्रसंस्करण इकाइयों को बढ़ावा देने जैसे उपाय कर रहा है।आयोग हल्दी के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजारों में नए अवसर तलाश रहा है।आयोग हल्दी पर अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए भी प्रतिबद्ध है। इसके माध्यम से वह हल्दी की नई किस्मों का विकास, रोगों और कीटों के नियंत्रण के लिए नए तरीकों का विकास और हल्दी के नए उपयोगों की खोज करेगा।

National Turmeric Board

इस प्रकार हल्दी आयोग का मुख्य उद्देश्य भारत में हल्दी की खेती को बढ़ावा देना, किसानों की आय में वृद्धि करना, हल्दी की गुणवत्ता में सुधार लाना और हल्दी के निर्यात को बढ़ाना है। इस आयोग के माध्यम से भारत हल्दी के उत्पादन और व्यापार में विश्व में अपनी अग्रणी स्थिति को और मजबूत बनाना चाहता है।केंद्रीय वाणिज्य मंत्री ने दिल्ली में हल्दी बोर्ड के गठन की घोषणा की और भारत सरकार ने हल्दी आयोग का अध्यक्ष गंगा रेड्डी को बनाया है। भारत सरकार की मंशा हल्दी की उन्नतशील खेती में किसानों को मदद के साथ साथ वैश्विक बाजार पर भारत का सौ फीसद नियंत्रण और कब्जा करने की है। क्योंकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा हल्दी उत्पादन और खपत करने वाला देश है। वैश्विक जरूरत की 70 फीसद की आपूर्ति भारत करता है। हल्दी के निर्यात को पांच साल में एक अरब अमेरिकी डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है।हाथ पीले करने के लिए हल्दी आवश्यक है।

हल्दी हमारे संस्कृति और संस्कार में रची बसी है। हमारे यहाँ हल्दी को शुभ माना जाता है।भारत में हिंदू धर्म में कोई भी संस्कार बगैर हल्दी के संम्पन्न नहीं होता है। जीवन में जन्म से मृत्युपरांत तक हल्दी का अपना महत्व है। हल्दी आयुर्वेद की सबसे लाभकारी औषधि है यह प्राकृतिक एंटीबायोटिक(प्रतिजैविक) भी है। अब हल्दी आयोग के गठन के साथ भारतीय हल्दी किसानों के लिए एक अच्छी खबर आयी है। हल्दी आयोग के गठन की मांग भारतीय कृषक बीते चार दशकों से कर रहे थे।सरकार ने हल्दी आयोग (टर्मरिक बोर्ड) का गठित करने की अधिसूचना जारी करके, हल्दी किसानों की 40 सालों से चली आ रही लंबी मांग को पूरा कर दिया है।हल्दी आयोग का मुख्यालय तेलंगाना के निज़ामबाद में निर्धारित किया गया है।

हल्दी आयोग से देश के हल्दी किसान जहाँ समृद्ध होंगे वहीं हल्दी निर्यात में भारत का अपना दबदबा होगा। भारत में सबसे अधिक हल्दी का उत्पादन दक्षिण भारत में होता है। आयोग के गठन से जहाँ हल्दी की नई-नई प्रजातियों का विकास होगा वहीं,वहीं हल्दी के पेटेंट पर कई साल रार के बाद आखिरकार हल्दी पर अमेरिकी पेटेंट को खारिज किया जा चुका है।
हल्दी पर पेटेंट को लेकर काफी विवाद रहा है। हालांकि हल्दी भारत का एक पारंपरिक मसाला है और इसका उपयोग सदियों से आयुर्वेद में किया जाता रहा है, फिर भी कुछ समय पहले एक विवाद खड़ा हो गया था।

1994 में, अमेरिकी पेटेंट और ट्रेडमार्क ऑफिस (पी टी ओ) ने मिसीसिपी विश्वविद्यालय के दो शोधकर्ताओं को हल्दी के एंटीसेप्टिक(प्रतिरोधी,पूर्ति रोधी ) गुणों के लिए पेटेंट दे दिया था।तत्कालीन भारत सरकार और वैज्ञानिक समुदाय ने इस पेटेंट का कड़ा विरोध किया था।उनका तर्क था कि हल्दी का उपयोग सदियों से भारत में किया जाता रहा है और यह भारत की पारंपरिक ज्ञान संपदा है। भारत सरकार ने इस मामले को लेकर अमेरिकी सरकार के साथ लंबी लड़ाई लड़ी थी।भारत की इस लड़ाई का सुखद अंत हुआ था और अमेरिकी पेटेंट और ट्रेडमार्क ऑफिस ने इस पेटेंट को रद्द कर दिया था। अब यह स्पष्ट हो गया है कि हल्दी पर किसी भी देश का एकाधिकार नहीं है। हल्दी भारत की पारंपरिक ज्ञान संपदा है और इसका उपयोग दुनिया भर में स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है। यह मामला पारंपरिक ज्ञान की सुरक्षा के मुद्दे पर प्रकाश डालता है साथ ही यह बौद्धिक संपदा अधिकारों से जुड़े मुद्दों को उजागर करता है। यह विकासशील देशों के लिए अपनी पारंपरिक ज्ञान संपदा की रक्षा करने के महत्व को दर्शाता है।

हल्दी पर पेटेंट का मामला एक लंबी लड़ाई के बाद भारत के पक्ष में निपटा। यह एक महत्वपूर्ण जीत थी क्योंकि इसने पारंपरिक ज्ञान की सुरक्षा के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित किया।बहरहाल हल्दी आयोग के गठन के साथ ही हल्दी का कृषि क्षेत्र राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक होने जा रहा है। देश के दूसरे हिस्सों में भी शोध के जरिए जलवायु और मिट्टी की गुणवत्ता से हल्दी की नई प्रजाति का विकास कर इसके उत्पादन को और व्यापक बनाया जा सकता है। इससे जहाँ हल्दी के किसानों की आय दोगुनी होगी वहीं दुनिया के हल्दी बाजार पर भारत का एकाधिकार होगा। देश के तकरीबन 20 राज्यों में हल्दी की खेती व्यापक पैमाने पर होती है। आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और मेघालय जैसे राज्य मुख्य हल्दी उत्पादक राज्यों में शामिल हैं। हल्दी आयोग जहाँ अच्छे उत्पादन देने वाली किस्मों का विकास करेगा,जिसका लाभ देश के किसानों को मिलेगा वहीं हल्दी से असाध्य रोगों के उपचार पर आधारित शोध भी करेगा।हल्दी के विभिन्न क्षेत्रों में प्रमुख उपयोग हैं, जैसे;हल्दी, सदियों से आयुर्वेद और रसोई में अपने औषधीय और स्वादवर्धक गुणों के लिए जानी जाती है। यह न केवल भारतीय रसोई का एक अभिन्न अंग है बल्कि दुनिया भर में भी इसका व्यापक उपयोग होता है। आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा में हल्दी के अत्यधिक उपयोग हैं,हल्दी में करक्यूमिन नामक एक रासायनिक यौगिक होता है जो सूजन को कम करने में मदद करता हैअतःहल्दी प्राकृतिक रूप से सूजन रोधी (एंटी इन्फ्लेमेटरी) भी होता है।हल्दी, शरीर को मुक्त कणों से बचाकर क्षति को कम करता है,त्वचा को जवां रखता है इसका बहुतायत में सौंदर्यप्रधान वाली चेहरे की क्रीमों में किया जाता है।

हल्दी पाचन को बेहतर बनाने में मदद करती है और पेट की समस्याओं जैसे गैस और अपच को कम करती है। हल्दी का उपयोग त्वचा के घावों, जलन और मुंहासों के उपचार में किया जाता है। हल्दी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाती है।
हल्दी अपने स्वाद और सुगंध के लिए मसालों में सबसे लोकप्रिय है। यह करी, दाल और अन्य व्यंजनों में रंग और स्वाद जोड़ती है। हल्दी में प्राकृतिक खाद्य परीक्षक,संरक्षक गुण होते हैं जो भोजन को लंबे समय तक ताजा रखने में मदद करते हैं। हल्दी भोजन को एक सुंदर सुनहरा रंग देती है।

हल्दी का उपयोग त्वचा को चमकदार बनाने, दाग-धब्बे हटाने और मुंहासों के उपचार में किया जाता है।
हल्दी बालों को मजबूत बनाती है और डैंड्रफ को कम करती है।हल्दी का उपयोग कपड़ों को रंगने के लिए किया जाता है,हल्दी प्राकृतिक सूचक भी है जो अम्लीय माध्यम में अक्रियाशील है जबकि क्षारीय माध्यम में गहरा लाल रंग देता है।
हल्दी को भोजन,वस्त्र, रंग के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। हल्दी का उपयोग प्लास्टिक उत्पादों में रंग और एंटीऑक्सीडेंट(प्रति ऑक्सीकारक) के रूप में किया जाता है। हल्दी का उपयोग दवाओं के निर्माण में किया जाता है। भारत में कई धार्मिक अनुष्ठानों में हल्दी का उपयोग किया जाता है। हल्दी का उपयोग पशुओं के उपचार में भी किया जाता है।हालांकि हल्दी के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, लेकिन इसका अधिक मात्रा में सेवन हानिकारक हो सकता है। हल्दी का उपयोग करने से पहले चिकित्सक से सलाह लेना उपयोगी होता है।हल्दी से जहाँ कई दवाएं बनती है वहीं सौंदर्य प्रसाधन में भी हल्दी का प्रयोग होता है। हमारे जीवन में हल्दी का बहुत उपयोग है।

निश्चित रूप से हल्दी आयोग सरकार के अन्य मंत्रालयों और विभागों से मिलकर हल्दी के निर्यात की रणनीति बनाएगा। भारत ने बीते साल 2023-2024 में 2265 लाख डॉलर की हल्दी का निर्यात किया। कुल 1.62 लाख टन हल्दी और उससे जुड़े उत्पादों का निर्यात किया गया। हल्दी आयोग के गठन से कृषि वैज्ञानिकों के अनुसन्धान से गुणवता परक हल्दी का निर्यात वैश्विक (ग्लोबल) स्तर पर होगा। हल्दी आयोग भारत को एक टिकाऊ स्पर्धा का बाजार उपलब्ध कराएगा। इससे जहाँ हल्दी का उत्पादन बढ़ेगा वहीं निर्यात से विदेशी मुद्रा भंडार में भी वृद्धि होगी।सरकार को परम्परागत कृषि को समृद्ध करने के साथसाथ औषधीय खेती और दूसरे कृषि उत्पाद पर भी इस तरह के आयोग का गठन करना चाहिए। जिसका प्रभाव दुनिया के कृषि बाजार पर व्यपाक होगा।एक ओर देश का किसान आर्थिक रूप से समृद्ध होगा दूसरी ओर भारतीय कृषि उत्पादों का एकाधिकार बढ़ेगा। कृषि के वैश्विक बाजार पर पकड़ बनाने के लिए भारत के पास अपार संभवानाएं हैं। अब सरकार किसानों के लिए कितना कुछ कर पाती है यह सरकारों की नेक नीयत पर निर्भर है .

भारत में गतवर्ष यानी 2023-2024 में 3.05 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में हल्दी की खेती कर 10.74 लाख टन उत्पादन किया गया। हमारे यहाँ हल्दी की तीस प्रजातियों की खेती की जाती है। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत में 3.24 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हल्दी की खेती की गई थी और इस दौरान उत्पादन 11.61 लाख टन रहा था। भारत जैसे पर्यावरण हितैषी राष्ट्र के लिए यह अत्यंत सुखद है कि वैश्विक हल्दी उत्पादन में भारत का योगदान 70 फीसद है,जिसे भविष्य में 90 फीसद तक किया जा सकता है।भारत सरकार ने बीते दो वर्षों में विश्व के 380देशों को हल्दी का निर्यात कर वैश्विक ख्याति के साथ 20745लाख अमेरिकी डॉलर की बड़ी राशि अर्जित कर अपना विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाया है।हल्दी आयोग निश्चित तौर पर एक खुली पारदर्शी कृषि नीति है।हल्दी आयोग कृषि में नवीन क्रांति का आगाज करेगा।

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