Tulsi Vivah 2025 Puja Tips: कार्तिक मास की शुक्ल द्वादशी के दिन तुलसी विवाह का पर्व मनाया जाता है। देवउठनी एकादशी के अगले दिन तुलसी विवाह का विधान कहा गया है। कहा जाता है कि इस दिन माता तुलसी का विवाह शालिग्राम से किया जाना चाहिए। ऐसा करने से घर में सुख शांति आती है, वैवाहिक जीवन मधुर होते हैं और आर्थिक उन्नति होती है। हालांकि इस दौरान कुछ विशेष सावधानियां भी बरतनी चाहिए क्योंकि हम कई बार जाने अनजाने में कुछ ऐसी गलतियां करते हैं जिससे देवता रूठ सकते हैं।

तुलसी विवाह के दौरान न करें यह भूल
जी हां, तुलसी विवाह के दिन यदि आप चाहते हैं कि आपको माता तुलसी और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त हो तो कुछ विशेष सावधानी बरतनी अनिवार्य है ताकि आप कुछ ऐसी गलतियां ना करें जिससे माता तुलसी रूठ न जाए। इस दिन कुछ विशेष कार्य नहीं करने चाहिए खासकर ऐसे कार्य जो शास्त्रों द्वारा वर्जित है। और आज हम आपको इसी से जुड़ी संपूर्ण जानकारी देंगे ताकि आप भी तुलसी विवाह के दिन अपने परिवार की सुख समृद्धि और शांति हेतु पूजा करें ना की माता तुलसी को रूष्ट करें। आईए जानते हैं तुलसी विवाह के दिन कौन से कार्य नहीं करना चाहिए
माता तुलसी के साथ शिवलिंग रखना: तुलसी विवाह के दिन गलती से भी माता तुलसी के साथ शिवलिंग नहीं रखना चाहिए। कुछ लोग जाने अनजाने नर्मदा से पाए जाने वाले कंकर जिसे नर्मदेश्वर कहा जाता है उसे भी तुलसी में रखते हैं ऐसा करना शास्त्रों में पूर्णत वर्जित कहा गया है ऐसा करने से तुलसी माता भी रूठ जाती है और शिव भी नाराज हो जाते हैं।
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तुलसी के पत्ते को छूना या तोड़ना: देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते को तोड़ना नहीं चाहिए। यहां तक की तुलसी विवाह के दिन भी तुलसी की पूजा करनी चाहिए परंतु तुलसी के पत्ते या तुलसी दल को तोड़ना वर्जित कहा जाता है। कहा जाता है कि इस दौरान माता तुलसी को विश्राम देना चाहिए बल्कि उन पर अन्य पुष्प अर्पित करने चाहिए।
तुलसी के पास जलते दीपक का ध्यान ना रखना: तुलसी के पास संध्या को दीपक जलाने के बाद कोशिश करें कि यह दीपक रात भर जलता रहे। इस दीपक को गलती से भी बुझने न दे। कोशिश करें कि यह दीपक किसी ऐसे स्थान पर रखें जहां हवा या बारिश इसे बुझा ना सके। तुलसी विवाह के दौरान दीपक जलाते समय माता तुलसी के बीज मंत्र का 108 बार जाप करना भी जरूरी है।
तुलसी विवाह के बाद माता तुलसी को अकेला ना छोड़े: कई बार माता तुलसी के विवाह के बाद लोग उन्हें वहीं छोड़ देते हैं परंतु ऐसा करना गलत है। तुलसी विवाह के बाद भी चार दिनों तक माता तुलसी को दुल्हन की तरह सजाएं ,जल अर्पित करें, सुबह-शाम दीपक जलाएं ताकि विवाह के बाद माता की उपेक्षा ना हो बल्कि आप उनका सम्मान स्वागत आदर करें।
