Tulsi Pujan Diwas : 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस-आस्था,आरोग्य संस्कृति का संगम-हर साल 25 दिसंबर को पूरे देश में तुलसी पूजन दिवस श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। यह दिन तुलसी के धार्मिक, सांस्कृतिक और औषधीय महत्व को रेखांकित करता है। तुलसी को भारतीय परंपरा में केवल एक पौधा नहीं, बल्कि देवी स्वरूपा माना गया है, जिनकी पूजा से घर में सकारात्मक ऊर्जा, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक शांति का वास होता है। इस पर्व को मनाने की शुरुआत वर्ष 2014 में हुई, जब देश के अनेक साधु-संतों और धर्माचार्यों ने 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस के रूप में मनाने का सामूहिक निर्णय लिया। तब से यह दिन पर्यावरण संरक्षण, भारतीय संस्कृति और आयुर्वेदिक जीवनशैली से जुड़ा एक महत्वपूर्ण अवसर बन गया है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला तुलसी पूजन दिवस तुलसी के धार्मिक, औषधीय और पर्यावरणीय महत्व को दर्शाता है। जानिए इस पर्व की शुरुआत, उद्देश्य और महत्व।
तुलसी का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में तुलसी को माता लक्ष्मी का स्वरूप और भगवान विष्णु की अत्यंत प्रिय माना गया है। तुलसी के बिना विष्णु पूजा अधूरी मानी जाती है। कार्तिक मास में तुलसी पूजन का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि तुलसी की नियमित पूजा से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और घर में सुख-समृद्धि आती है।
तुलसी का औषधीय और आयुर्वेदिक महत्व
आयुर्वेद में तुलसी को “जड़ी-बूटियों की रानी” कहा गया है– क्योकि तुलसी में पाए जाने वाले औषधीय गुण सर्दी-खांसी और बुखार में लाभकारी होते हैं। वहीं सर्दी के मौसम में इसके नियमित सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) बढ़ाने में सहायता मिलती है इसके आलावा तनाव, चिंता और मानसिक थकान में राहत,पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है,श्वसन संबंधी रोगों में उपयोगी है इसी कारण से तुलसी न केवल पूजा का माध्यम है, बल्कि स्वस्थ जीवनशैली का आधार भी है।

तुलसी पूजन दिवस का उद्देश्य
तुलसी पूजन दिवस मनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य हैं-भारतीय संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण,पर्यावरण संरक्षण और पौधारोपण को बढ़ावा,रासायनिक दवाओं की जगह प्राकृतिक औषधियों के प्रति जागरूकता ,युवाओं को आयुर्वेद और सनातन जीवनशैली से जोड़ना,यह दिवस हमें यह संदेश देता है कि प्रकृति की रक्षा ही मानव जीवन की रक्षा है।
तुलसी पूजन की विधि (संक्षेप में)
तुलसी पूजन के लिए शुद्ध पानी से स्नान करें यदि प्रातः स्नान कर सकें तो बेहतर होगा। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर
सबसे पहले तुलसी के पौधे को जल अर्पित करें तभी गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाकर तुलसी स्तोत्र या मंत्र का जाप करें। अंत में परिक्रमा कर तुलसी माता से स्वास्थ्य व शांति की कामना करें।
निष्कर्ष (Conclusion)-तुलसी पूजन दिवस केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह दिवस हमें अपनी जड़ों से जुड़ने और प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर जीवन जीने की प्रेरणा देता है। यदि प्रत्येक परिवार अपने घर में तुलसी का पौधा लगाए और उसका संरक्षण करे, तो यह न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य बल्कि समाज और पर्यावरण के लिए भी अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा।
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