India-US Trade Deal: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 15 जुलाई 2025 को घोषणा की कि भारत और अमेरिका एक ऐसे व्यापार समझौते (India USA Trade Agreement) पर काम कर रहे हैं, जो हाल ही में इंडोनेशिया के साथ किए गए समझौते की तर्ज पर होगा। ट्रंप ने कहा कि यह डील अमेरिका को भारतीय बाजार में व्यापक पहुंच प्रदान करेगी। इस बयान ने भारत में व्यापारिक और आर्थिक नीतियों को लेकर चर्चा को हवा दे दी है, क्योंकि ट्रंप ने 1 अगस्त तक डील न होने पर 35% तक टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है।
इंडोनेशिया डील का मॉडल
US-Indonesia Trade Model: ट्रंप ने वाशिंगटन में पत्रकारों से बातचीत में कहा, “हमने इंडोनेशिया के साथ एक शानदार डील की है, जिसमें उनके सामान पर 19% टैरिफ लगेगा, लेकिन अमेरिकी निर्यात पर कोई टैरिफ नहीं होगा। भारत भी उसी दिशा में काम कर रहा है।” इंडोनेशिया ने अमेरिका को $15 बिलियन के ऊर्जा उत्पाद, $4.5 बिलियन के कृषि उत्पाद, और 50 बोइंग जेट खरीदने का वादा किया है। ट्रंप ने इसे “पूरी तरह से बाजार खोलने” की मिसाल बताया और कहा कि भारत के साथ भी “कुछ ऐसा ही” होगा।
भारत-अमेरिका ट्रेड डील की स्थिति
India-US Trade Negotiations: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता तेजी से चल रही है। भारतीय वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारी, जिनमें मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल शामिल हैं, वाशिंगटन में बातचीत कर रहे हैं। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि दोनों पक्ष “पारस्परिक सहयोग की भावना” के साथ तेजी से काम कर रहे हैं। ट्रंप ने संकेत दिया कि भारत पर टैरिफ 20% से कम हो सकता है, लेकिन अगर डील नहीं हुई, तो 35% तक टैरिफ लग सकता है। यदि डील इंडोनेशिया मॉडल पर हुई, तो भारत के निर्यात पर 19% टैरिफ और अमेरिकी आयात पर शून्य टैरिफ होगा, जो भारत के लिए आर्थिक चुनौती हो सकता है।
ट्रंप की रणनीति और भारत पर असर
ट्रंप ने कहा, “पहले हमारे पास इन देशों में कोई पहुंच नहीं थी। अब टैरिफ की धमकी के कारण हमें भारत जैसे बाजारों में प्रवेश मिल रहा है।” उन्होंने इंडोनेशिया के उच्च गुणवत्ता वाले कॉपर और दुर्लभ खनिजों का जिक्र करते हुए भारत के साथ भी रणनीतिक व्यापार की बात कही। भारत के लिए यह डील महत्वपूर्ण है, क्योंकि रूस से सस्ते तेल और ऊर्जा आयात पर ट्रंप की 100% टैरिफ की धमकी भारत की ऊर्जा सुरक्षा को प्रभावित कर सकती है। ट्रंप ने यह भी कहा कि रूस-यूक्रेन शांति समझौता 50 दिन में हो सकता है, जिससे भारत को रूसी ऊर्जा पर प्रतिबंधों से राहत मिल सकती है।
भारत में विपक्ष ने इस डील को “आर्थिक आत्मसमर्पण” करार दिया है। X पर कुछ यूजर्स ने लिखा कि यह डील भारत के हितों के खिलाफ हो सकती है, खासकर अगर भारतीय निर्यात पर भारी टैरिफ लगे। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को अपनी स्वतंत्र व्यापार नीति (Independent Trade Policy) को बनाए रखते हुए रणनीतिक रियायतें देनी होंगी। कुछ का मानना है कि भारत अमेरिका के साथ संतुलित डील कर सकता है, जिसमें कृषि, फार्मा, और टेक्नोलॉजी सेक्टर में रियायतें शामिल हों।