टीआरएस के छात्रों ने देखी वृद्धजनों की लाइफ स्टाइल, सीखा जीवन का पाठ

रीवा। टीआरएस कॉलेज के समाज कार्य विभाग द्वारा आईक्यूएसी फ्लैगशिप स्कीम ‘‘चेतना’’ के अंतर्गत प्राचार्य डॉ अर्पिता अवस्थी के निर्देशन में छात्रों के व्यावहारिक अध्ययन को मजबूत बनाने के लिए शुक्रवार को रीवा के चिन्मय मिशन आश्रम का भ्रमण कराया गया है। यहां रह रहे बुजूर्गो से छात्रों ने सीधे तौर पर संवाद करके उनके जीवन शैली से रूबरू हुए।

कॉलेज की प्राचार्य डॉ अर्पिता अवस्थी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि अध्ययन भ्रमण से छात्रों को विविध लोगों से मिलने और जीवन में रूबरू होने का अवसर प्राप्त होता है। इस कार्यक्रम से छात्रों में निर्धारित अपेक्षाओ को पूरा करने का आत्मबल भी मजबूत होगा। इस अध्ययन भ्रमण का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को संस्थागत सेवाओं, सामाजिक कार्य की प्रक्रियाओं तथा आश्रम में निवासरत लोगों के जीवन, उनकी समस्याओं और उनके समाधान के प्रयासों को प्रत्यक्ष रूप से समझाना था। समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अखिलेश शुक्ल ने बताया कि इस प्रकार के अध्ययन भ्रमण छात्रों के व्यक्तित्व विकास में सहायक होते हैं। इससे छात्रों में मानवीय संवेदना, सहानुभूति एवं सेवा भाव की भावना विकसित होती है।

बुजूर्गो के जीवन जीने की देखी कला और लिया ज्ञान

अध्ययन भ्रमण के दौरान छात्रों ने चिन्मय वानप्रस्थ आश्रम में केन्द्र प्रभारी वल्लभ चौतन्य, पितामह इकबाल सिंह, डॉ. ए.के. श्रीवास्तव, बिहारी सिंह, अवधराज सिंह, यादवेन्द्र सिंह, गौरीधर दुबे, रणजीत सिंह, जी.एस. पाण्डेय, राजकिशोर चौबे, सुदामा मिश्रा आदि से संवाद किया। छात्रों द्वारा आश्रम के द्वारा संचालित वृद्धाश्रम में वृद्धों के लिए पुस्तकालय, भोजनालय एवं आवासीय व्यवस्था का भ्रमण छात्रों के द्वारा किया गया। छात्रों ने आश्रम में निवास कर रहे वृद्धों से जानकारियां प्राप्त की। अध्ययन भ्रमण के दौरान छात्रों ने आश्रम की कार्यप्रणाली, वहां निवास कर रहे वृद्धजनों के जीवन, देखभाल, परामर्श सेवाओं, स्वास्थ्य सुविधाओं और पुनर्वास संबंधी प्रयासों की जानकारी ली। छात्रों ने पाया कि यहाँ रह रहे लोगों के मानसिक, आध्यात्मिक व भावनात्मक विकास के लिए भी निरंतर प्रयास किए जाते हैं। चिन्मय मिशन आश्रम में वृद्धजनों से हुआ यह संवाद छात्रों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बन गया। इस अवसर ने उन्हें जीवन के यथार्थ से परिचित कराया और उनके मन में बुजुर्गों के प्रति सम्मान और सेवा-भाव को और अधिक मजबूत किया।

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