TRS – hindi diwas program 2025 : भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ-हिन्दी दिवस पर कार्यक्रम- कार्यक्रम मॉ. वीणा वादिनी के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर सभी अतिथियों ने सरस्वती पूजन कर विधिवत शुरुआत की गयी। तपश्चात् सम्मानित अतिथियों को तिलक लगा कर स्वागत किया गया स्वागत गीत हिन्दी विभाग छात्राओं द्वारा प्रस्तुत किया गया। स्वागत भाषण भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ की प्रभारी एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ. निवेदिता टेम्भरे ने दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता महा० के प्रशासनिक अधिकारी डॉ महानंद द्विवेदी ने की। उन्होंने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि भाषा का भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ एवं हिन्दी दिवस की शुभ का भानाएँ देते हुएं हिन्दी के महत्व पर प्रकाश डाला।
विषय विशेषज्ञों बताया भाषा का महत्व
मुख्य अतिथि डी. रामेश्वर पाडेय सेवा नि० प्राध्यापक-हिन्दी शा.ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय, रीवा ने राज भाषा हिन्दी की दशा एवं दिशा, अपना पर राजभाषा, राष्ट्रभाषा व सम्पर्क भाषा पर विस्तृत काख्यान दिया। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता डॉ. वन्दना त्रिपठि, प्राध्यापक, हिन्दी ने अपने व्यक्तक में ‘हिन्दी का अन्तर्राष्ट्रीय परिदृश्य, पर प्रकाश डालते हुए उसके महत्व एवं विश्व स्तर पर हिन्दी की लोक प्रियता पर प्रकाश डाला। मुख्य वक्ता डॉ. शिप्रा द्विवेदी, हिन्दी विभाग की वरिष्ठ प्राध्यापक ने अपने उद्बोधन में हिन्दी का अन्तर्राष्ट्रीय को रेखांकित करते हुए कहां कि हिन्दी भाव एवं मन, की भाषा है, एवं हिन्दी भाषा अपनी लहजा बनाती है। और विश्व अपने एक अलग स्थान बना चुकी है। हिन्दी विश्व की तीसरी सबसे बोली और समझने वाली भाषा है।
शोध पत्रों के वाचन की हुई प्रशंसा
कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. ब्रहमेन्द्र मिश्र द्वारा किया गया एवं आभार संस्कार पाण्डेय ने किया। इस अवसर पर सुमित तिवारी व विवेक पाण्डेय द्वारा शोध-पत्र का वाचन किया गया। इस अवसर प्रमुख रूप से डॉ. प्रदीप विश्वकर्मा डॉ. बृजेन्द्र कुशवाहा, डॉ. ब्रहमेन्द्र मिश्र, डॉ. असुला मिश्रा, डॉ. तरन्नुम खान, डॉ. सोनी सिंह, डॉ. पूजा शुक्ला, डॉ. शशि त्रिपाठी, डॉ. आरती सोनी, डॉ. आशुतोष शुक्ला, डॉ. ज्योति पाण्डेप, डॉ. अल्पना मिश्रा, डॉ. प्रियंका पाण्डेप, महा० के प्राध्यापक, अतिथि विद्वान, स्वावित्तीय शिक्षक, जनभागीदारी शिक्षक एवं छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे। कार्यक्रम में डॉ. बृजेन्द्र कुशवाहा डॉ. ब्रहमेन्द्र मिश्र, डॉ. सोनी सिंह, डॉ. तरन्नुम खान एवं पूजा शुक्ला का महत्वपूर्ण योगदान रहा। डॉ. निवेदिता टेम्भरे प्रभारी भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ शा. ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय, रीवा (म.प्र)