भोपाल के 90 डिग्री मोड़ वाले रेलवे ब्रिज को किया जाएगा रिडिजाइन, सोशल मीडिया में हुआ था ट्रोल

Bhopal Railway Bridge Redesigned News In Hindi: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में ऐशबाग इलाके में बना रेलवे ओवर ब्रिज अपनी अनोखी और खतरनाक डिजाइन के कारण देशभर में चर्चा का विषय बन गया है। इस ब्रिज का 90 डिग्री का तीखा मोड़ न केवल इंजीनियरिंग की नाकामी का प्रतीक बन गया, बल्कि सोशल मीडिया पर भी इसे जमकर ट्रोल किया गया। अब जनता की नाराजगी, विशेषज्ञों की चेतावनी और सुरक्षा जोखिमों को देखते हुए, लोक निर्माण विभागऔर रेलवे ने इस ब्रिज के टर्निंग हिस्से को रीडिजाइन करने का फैसला लिया है।

90 डिग्री मोड़ रेलवे ओव्हर ब्रिज

ऐशबाग रेलवे क्रॉसिंग पर बना यह ब्रिज 18 करोड़ रुपये की लागत और 8 साल की मेहनत से तैयार हुआ था। 648 मीटर लंबा और 8 मीटर चौड़ा यह ब्रिज ट्रैफिक जाम से निजात दिलाने के लिए बनाया गया था, लेकिन इसका डिजाइन ही अब समस्या बन गया। ब्रिज के एक सिरे पर यू-शेप टर्न और दूसरे सिरे पर लगभग 90 डिग्री का मोड़ है, जो वाहनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मोड़ पर 35-40 किमी प्रति घंटा से अधिक रफ्तार खतरनाक है, और 30 किमी प्रति घंटा की स्पीड भी जोखिम भरी हो सकती है।

वाहन ब्रिज से नीचे गिरने की संभावना

स्ट्रक्चर इंजीनियर डॉ. शैलेंद्र बागरे ने इसे “दो स्केल जोड़कर बनाया गया ब्रिज” करार दिया। उन्होंने बताया कि 88 डिग्री का यह मोड़ वाहनों के फिसलने या पलटने का कारण बन सकता है। मैनिट के ट्रैफिक विशेषज्ञ डॉ. सिद्धार्थ रोकड़े ने भी चेतावनी दी कि केवल साइन बोर्ड लगाने से काम नहीं चलेगा, स्पीड ब्रेकर, रंबल स्ट्रिप्स या स्मार्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट जैसे उपाय जरूरी हैं। बिना इनके, वाहन ब्रिज से नीचे गिर सकते हैं।

विभाग ने क्या वजह बताई थी

हालांकि पीडब्ल्यूडी विभाग ने जगह की कमी को डिजाइन की खामी का कारण बताया था। अधिकारियों का कहना है कि यह ब्रिज केवल दो कॉलोनियों को जोड़ता है, इसलिए भारी वाहनों का आवागमन नहीं होगा। फिर भी, रेलवे ने निर्माण के दौरान ही इस टर्निंग पर आपत्ति जताई थी, लेकिन पीडब्ल्यूडी ने इसे नजरअंदाज कर दिया था।

सोशल मीडिया पर किया गया ट्रोल्स

ब्रिज की तस्वीरें और ड्रोन वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद यह देशभर में मजाक का पात्र बन गया। यूजर्स ने इसे “इंजीनियरिंग का अजूबा” और “भ्रष्टाचार का स्मारक” तक कहा। एक यूजर ने X पर लिखा- “जब इंजीनियर डिग्री डोनेशन से बनें, तो पुल नहीं, दुर्घटनाएं बनती हैं।” विपक्ष ने भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया, मध्य प्रदेश कांग्रेस ने तो इसे “दुनिया का 8वां अजूबा” करार देते हुए मीम शेयर किया। कांग्रेस नेता उमंग सिघार ने इसे “घोटालों का सेतु” बताया और सिविल इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम में केस स्टडी के रूप में शामिल करने का सुझाव दिया। एक कांग्रेस नेता मनोज शुक्ला ने कहा कि एक आम आदमी भी बता सकता है कि ऐसे मोड़ पर टर्निंग रेडियस ज्यादा होना चाहिए, फिर इंजीनियरों ने यह गलती कैसे की? वहीं, कुछ यूजर्स ने इसे “मौत का मोड़” तक कह डाला।

मंत्री राकेश सिंह ने दिए जांच और रीडिजाइन के आदेश

ब्रिज के विवादास्पद डिजाइन पर सवाल उठने के बाद पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह ने एनएचएआई से जांच कराने का आदेश दिया। एनएचएआई की रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि ब्रिज पर स्पीड कंट्रोल के उपाय जरूरी हैं। इसके बाद 18 जून 2025 को पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने ऐलान किया कि रेलवे के साथ मिलकर ब्रिज के टर्निंग हिस्से को रीडिजाइन किया जाएगा पीडब्ल्यूडी के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर आरए मोरे ने बताया कि डामरीकरण के दौरान सुपर एलिवेशन डिजाइन, जिसमें मोड़ पर बाहरी किनारा ऊंचा किया जाता है, उसका इस्तेमाल किया जाएगा, ताकि वाहनों को टर्न लेने में आसानी हो।

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