भोपाल। मध्यप्रदेश के सामान्य प्रशासन विभाग ने शनिवार और रविवार की आधी रात यानि की 12 बजे नई तबादला नीति जारी कर दिया है। जिससे अब एमपी में लंबे समय से तबादलें की उम्मीद पर बैठे अधिकारियों-कर्मचारियों के इस महीने ट्रांसर्फर हो सकेगें। ज्ञात हो कि एमपी कैबिनेट में 4 दिन की मंजूरी के बाद अब तबादला नीति जारी की गई है। जारी की गई नीति का पालन सभी विभागों को करना होगा।
1980 में बनी थी पहली तबादला नीति
मध्यप्रदेश में 1980 से तबादला नीति चलती आ रही है। जानकारी के तहत पहली बार तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे अर्जुन सिंह की सरकार ने सन 80 में पहली तबादला नीति बनाई थी। उस समय मार्च और अप्रैल में तबादले होते थें, चूकि मई और जून में छुटी रहती थी तो जुलाई सत्र को ध्यान में रखकर अप्रैल में तबादलें किए जाते थें। जिससे छुट्रटी के समय अधिकारी-कर्मचारी सेंटल हो जाए। उस समय सभी विभाग में एक ही तबादला नीति लागू होती थी। 2016 में तबादला नीति में बदलाव किया गया। जिसके बाद कुछ विभागों में तबादलें के नियम विभाग के अनुसार बनाए गए है।
10 प्रतिशत हो सकते है तबादलें
मध्यप्रदेश में 6 लाख 6 हजार नियमित कर्मचारी हैं। नई तबादला नीति में 10 प्रतिशत का तबादला होना तय माना जा रहा है। ऐसे में 30 मई तक 60 हजार से अधिक अधिकारी-कर्मचारियों के तबादले हो सकते हैं। तबादला नीति में कंमजोर कर्मचारियों पर पहले गाज गिरने वाली है। जानकारी के तहत ऐसे कर्मचारियों को पहले बदला जाएगा। जिन्होंने पिछले वित्तीय वर्ष के लिए निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त नहीं किया है। यानी उनका परफार्मेंस कमजोर रहा हो। इस तबादलें 3 साल को अनिवार्य नही किया गया है यानि की 3 साल पूर्ण होने पर ही तबादला किया जाए।
इन नियमों का पालन जरूरी
तबादला नीति में यह स्पष्ट किया गया है कि विभाग अपने लिए अलग से तबादला नीति बना सकेंगे, लेकिन जीएडी के प्रावधानों का पालन करना जरूरी होगा। जीएडी की नीति से हटकर किए जाने वाले तबादलों में मुख्यमंत्री के समन्वय में आदेश प्राप्त करने होंगे। जिला संवर्ग के कर्मचारी का और राज्य संवर्ग के तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों का जिले के भीतर तबादला कलेक्टर के माध्यम से प्रभारी मंत्री के अनुमोदन के बाद किया जाएगा।
इन पर तबादला नीति नही होगी प्रभावी
जो तबादला नीति जारी की गई है उसमें कुछ अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए छूट दी गई है। यानि कि वे अपनी मर्जी से ही तबादला ले सकेगे। जानकारी के तह जो अधिकारी या कर्मचारी एक साल या उससे कम समय में रिटायर हो रहे हैं, उनका ट्रांसफर नहीं किया जाएगा। पति-पत्नी एक साथ ट्रांसफर का आवेदन देते हैं तो उनका ट्रांसफर किया जा सकेगा। लेकिन नियुक्ति की जगह प्रशासनिक जरूरत के आधार पर तय होगी।
ऐसे कर्मचारी जिन्हें गंभीर बीमारी जैसे कैंसर, किडनी खराब होने के कारण डायलिसिस या हार्ट सर्जरी की वजह से रेगुलर जांच कराना जरूरी है, उनका जहां ट्रांसफर होता है वहां ये सुविधा नहीं है तो मेडिकल बोर्ड की अनुशंसा पर उनकी चाही गई जगह पर ट्रांसफर हो सकेगा। जो कर्मचारी 40 प्रतिशत या इससे अधिक दिव्यांग कैटेगरी में हैं, उनके ट्रांसफर नहीं होंगे। वे चाहें तो खुद से ट्रांसफर ले सकेंगे।