रीवा। देश भर में होली के एक दिन पहले होलिका दहन फाल्गुन मास में किया जाता है। इसमें पुरूष, बच्चे और महिलाएं सभी शामिल होते है, लेकिन विविध परंपराओं से भरा भू-धरा में एक वर्ग ऐसा भी है जो कि होलिका दहन नवरात्रि के पहले दिन की रात में करता है। खास बात यह है कि यह होलिका दहन महिलाएं करती है और इसमें पुरूष वर्ग का प्रवेश वर्जित रहता है।
बीहर नदी के तट पर होलिका दहन
शहर के बीहर नदी के तट पर बसा गंगापुर पुराना कबाड़ी मोहल्ले की महिलाएं इस होलिका दहन को पूरे उत्साह के साथ मनाती है। उनका कहना है कि यह होलिका दहन उनके वर्षो पुरानी परंपरा का हिस्सा है और इसे वे करती आ रही है। यहा ज्यादातर लोनिया परिवार के लोग निवास करते है। घनी आबादी वाले इस मोहल्ले में नदी के किनारे यह होलिका दहन पूरे उत्साह एवं पूजा-अर्चना करके किया गया है। जिसमें सैकड़ों की सख्या में महिलाएं शामिल होकर होलिका दहन किया और होली तापी।
उपवास रहकर लक्ष्मी मंदिर से डालती है जल
महिलाओं का कहना है कि परिबा के दिन वे व्रत रहती हैं। जिसके बाद रात में होलिका तापी जाती है। लक्ष्मी माता मंदिर से ये महिलाएं लोटे में जल लेकर धार बनाती हुई निकलती हैं, 6 दिनों तक प्रत्येक दिन लोटे से पानी की धार निकाली जाती है। वहीं सातवें दिन यानी सप्तमी को मां की पूजा की जाती है। इस दौरान वे गीत-संगीत के कार्यक्रम भी करती है। इस पूरे आयोजन मेें महिलाएं शामिल होकर माता रानी से घर परिवार एवं सभी के सुखी जीवन की कामना करती है।