बाजार। सलाद की प्लेट हो… चाहे चटनी की कटोरी या फिर दाल सब्जी का तड़का, सभी में लाल टमाटर का जलवा होता है, लेकिन बढ़ते दामों के चलते इन दिनों टमाटर लाल सोना बनता जा रहा है, क्योकि इसकी कीमते आसमान छूने लगी है। जिससे सब्जी प्रेमी टमाटर की खरीदी करने मे न सिर्फ सोच विचार कर रहे है बल्कि ज्यादतर लोग टमाटर की खरीदी करने से अब परहेज करने लगे है।
80 रूपए तक पहुच रहा टमाटर
कुछ दिन पहले तक जो टमाटर 15 से 20 रुपए प्रति किलो में मिल रहा था, वही अब 50 से 80 रुपए प्रति किलो बिक रहा है। ऐसे में टमाटर एक बार फिर अपने बढ़ते दामों को लेकर चर्चा में आ गया है। मंडी व्यापारियों का कहना है कि बेंगलुरु, महाराष्ट्र से देश भर में टमाटर की सप्लाई हो रही है। फसल कमजोर होने, बारिश व बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में मांग बढ़ने तथा आवक घटने से टमाटर के भाव तेजी से बढ़ रहे है। थोक बाजार में टमाटर का भाव 35 से 40 रुपए किलो तक पहुंच गया है।
सिंतबर तक राहत की उम्मीद नही
विशेषज्ञों का मानना है कि सितंबर माह तक टमाटर के भाव में राहत की उम्मीद नजर नही आ रही है। नई फसल आने तक टमाटर के दामों में उछाल बने रहने की संभावना जताई जा रही है, यानि की टमाटर प्रेमियों को अभी दो महीनों तक इसके खट्टे-मीठे स्वाद का इंतजार करना पड़ेगा। ज्ञात हो कि टमाटर केवल स्वाद से भरपूर नही होता है बल्कि सेहत से भी भरा होता है। यही वजह है कि इसका डिमांड हर समय बनी रहती है।
रासायनिक दवाएं बिगाड़ रही उत्पादन
टमाटर की फसल में गिरावट आने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी बताए आ रहे हैं। टमाटर की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि इस बार फसल से 50 दिन तक उपज की उम्मीद थी, लेकिन पौधों से मात्र 25 से 30 दिन में ही उत्पादन कम होने लगा। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, अधिक उत्पादन के लालच में किसानों ने अत्यधिक मात्रा में रासायनिक दवाइयों का उपयोग किया, जिससे मिट्टी की उर्वरकता प्रभावित हुई है। इसी कारण टमाटर के पौधों में फल देर तक टिक नहीं पाए और उत्पादन में भारी गिरावट आई।