Tiger T-43 died due to electrocution in Sanjay Tiger Reserve: सीधी। मध्य प्रदेश के संजय टाइगर रिजर्व में 19 अगस्त 2025 को नर बाघ टी-43 की करंट लगने से दुखद मौत हो गई। खरबर बीट में मंगलवार देर रात मिले शव की सूचना के बाद वन विभाग ने त्वरित कार्रवाई शुरू की। प्रारंभिक जांच में पता चला कि किसानों द्वारा फसल保护 के लिए बिछाए गए बिजली के तारों की चपेट में आने से बाघ की मौत हुई। इस घटना ने रिजर्व की वन्यजीव संरक्षण व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इसे भी पढ़ें : Mukundpur Zoo में दिल्ली से लाये गए सफेद बाघ ने तोड़ा दम, पिछले कुछ महीनों से ख़राब थी सेहत
पोस्टमॉर्टम और फोरेंसिक जांच
वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर तीन डॉक्टरों की उपस्थिति में बाघ का पोस्टमॉर्टम किया। फोरेंसिक जांच के लिए विसरा सुरक्षित रखा गया। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के प्रोटोकॉल के तहत बाघ का अंतिम संस्कार किया गया। क्षेत्र में लोगों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। क्षेत्रीय संचालक अमित दुबे ने बताया कि मंगलवार सुबह घटना की जानकारी मिली, जिसके बाद फोरेंसिक टीम ने जांच शुरू की।
संरक्षण में लापरवाही पर सवाल
संरक्षण विशेषज्ञों का कहना है कि केवल औपचारिक कार्रवाई से वन्यजीवों का संरक्षण नहीं हो सकता। किसानों द्वारा फसलों की सुरक्षा के लिए बिजली के तार बिछाने की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। वन विभाग और जिला प्रशासन ने इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकाला है। विशेषज्ञों ने रिजर्व में कमजोर निगरानी और गश्त व्यवस्था को इस घटना का प्रमुख कारण बताया।
वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत जांच
वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घटनाओं में कार्रवाई अक्सर कागजी रह जाती है। संजय टाइगर रिजर्व में बाघों की सुरक्षा के लिए ठोस कदमों की कमी और विभागीय लापरवाही से बाघों की जान पर खतरा बढ़ रहा है।
बाघों की सुरक्षा पर चिंता
संजय टाइगर रिजर्व मध्य प्रदेश के नौ टाइगर रिजर्व में से एक है और बाघ भारत की राष्ट्रीय धरोहर हैं। टी-43 की मौत ने एक बार फिर रिजर्व की सुरक्षा व्यवस्था की कमियों को उजागर किया है। यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो भविष्य में बाघों का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। संरक्षण विशेषज्ञों ने वन विभाग से तत्काल प्रभावी कदम उठाने की मांग की है।