हीरे-जवाहरात और नोटों से सजा एमपी का यह मंदिर, मां महालक्ष्मी के भक्त खुद करते है सजावट

रतलाम। मध्यप्रदेश के रतलाम में मां महालक्ष्मी का मंदिर तकरीबन 300 साल पुराना है। यह मंदिर भक्तों के लिए 5 दिनों तक आकार्षण का केंन्द्र बन गया है, क्योकि इस मंदिर की सजावट फूलों से नहीं बल्कि हीरे, जवाहरात और नोटों से हुई है। मंदिर की हर लड़ में नोट लगे हैं। सजावट में भक्तों द्वारा दी गई 10, 20, 50, 100, 200, 5000 रुपये के नोटों की गड्डियों का उपयोग किया गया है। दोनों मंदिर में इस बार केवल नोटों से ही सजावट की गई और भक्त दीपोत्सव तक सजावट को देख सकेंगे।

2 करोड़ रुपए में सजी है मां महालक्ष्मी

इस अद्भुत सज्जा के लिए भक्तों ने अपनी तिजोरी खोल दी है। मंदिर में अर्पित नकदी-आभूषण को दीपोत्सव के पांच दिन के बाद प्रसादी के रूप में भक्तों को समिति वापस लौटाएगी। मंदिर की सजाने की सालों पुरानी परंपरा के तहत इस साल 2 करोड़ रुपए से मंदिर को सजाया गया है। आज तक यहां से एक रुपया इधर से उधर नहीं हुआ है। धन राशि देने वालों में रतलाम के अलावा प्रदेश समेत अन्य राज्यों से भी बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। दीपोत्सव के पहले दिन धनतेरस से मंदिर की सजावट को भक्त निहार सकते हैं, जो पांच दिनों तक भक्तों द्वारा अर्पित आभूषण और नोटों से सजा रहता है।

मंदिर में हीरे-जवाहरात और रूपए रखने की ऐसी है पंरपरा

मंदिर के पुजारियों की माने तो मां महालक्ष्मी का यह मंदिर तकरीबन 300 साल पुराना है। यह रियासतकालीन मंदिर है। बताते है कि रतलाम के महाराजा रतन सिंह राठौर ने जब रतलाम शहर बसाया, तब से यहां दीपावली धूमधाम से मनाई जाने लगी। राजा वैभव, निरोगी काया और प्रजा की खुशहाली के लिए पांच दिन तक अपनी संपदा मंदिर में रखकर आराधना कराते थे। इसके लिए महाराजा शाही खजाने के सोने-चांदी के आभूषण मां लक्ष्मी जी के श्रृंगार के लिए चढ़ाते थे, रियासत काल में शुरू हुई यह परंपरा आज भी कायम है, क्योकि बदलते समय के बाद भक्त मंदिर के लिए चढ़ावा लेकर आने लगे। कई वर्षो से भक्त द्वारा लाई जाने वाली धन संपदा से मंदिर की सजावट नोट और आभूषणों से की जा रही है। श्रद्धालु अपनी स्वेच्छा से मंदिर की सजावट के लिए अपना पैसा और आभूषण आदि लेकर आते है और मंदिर का एक-एक हिस्सा नोट और गोल्ड से सजा है।

ऐसी है मां महालक्ष्मी की प्रतिमा और गर्भगृह

मंदिर के गर्भगृह में महालक्ष्मी की मूर्ति के साथ ही गणेश जी व सरस्वती मां की भी मूर्ति स्थापित है। लक्ष्मी की मूर्ति के हाथ में धन की थैली रखी है, जो वैभव का प्रतीक है। साथ मंदिर में महालक्ष्मी 8 रूप में विराजमान हैं। जिनमें अधी लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी, लक्ष्मीनारायण, धन लक्ष्मी, विजयालक्ष्मी, वीर लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी और ऐश्वर्य लक्ष्मी मां विराजमान हैं।

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