इस गर्मी लीजिये आम से बने इन देसी व्यंजनों का आनंद..

Mango Desi Recipe: इनदिनों आम अपनी शबाब पर है। पेड़ फलों से लदे हुए हैं पर अभी मात्र पना, चटनी और टहुआ के लिए ही उपयुक्त हैं जिनका आंनद लीजिए।

चालीस में पारा गया, धूप हुई स्वच्छंद।
टहुआ बगजा पना का, आप लेहु आंनद।।
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०–बाबूलाल दाहिया

जी हां प्रकृति ने मौसमी फल उगाकर हमारे स्वस्थ का पूरा-पूरा प्रबंध कर रखा है।अगर गर्मी में तेज धूप और लू है तो उसके समन के लिए मौसमी फल आम का पना भी है। हमारे भोजन में लगभग तीन सौ प्रकार के व्यंजन य पकवान शामिल हैं। परन्तु उनका अविष्कारक कोई पुरुष नहीं महिला समाज ही है। पुरुष की गिनती तो चालकों में होनी चाहिए कि घर में मुफ्त का कपड़ा धोने, भोजन पकाने का काम महिलाएं करें। पर जैसे ही किसी प्रतिष्ठान में कपड़ा धोने य भोजन पकाने कि जगह निकले तो धोबी गिरी या रसोइयां गिरी करने के लिए चट से वहां पुरुष पहुँच जायगा।

इनदिनों आम अपनी शबाब पर है। पेड़ फलों से लदे हुए हैं पर अभी मात्र पना, चटनी और टहुआ के लिए ही उपयुक्त हैं जिनका आंनद लीजिए। फिर एक माह बाद बगजा का समय आएगा और उसके पश्चात सांह एवं अमावट का भी। कुछ लोगों को अभी पना, टहुआ और बगजा का अन्तर ही न मालूम होगा कि कौंन कैसा बनता है और उनमें क्या-क्या पड़ता है ? जब आम के रस को सिर्फ जीरा से छौक दिया जाय तो टहुआ और जब उसमें बेसन की करी बनाकर छौकी जाय तो वह बगजा हो जाता है। किन्तु जब उसी आम को भून य उबाल कर उसके रस में नमक मिर्च और प्याज मिलाकर खाया जाय तो फिर वह पना कहलाने लगता है।

यहां आप सभी को आम के तरह -तरह के व्यंजन का अनुसन्धान करने वाली महिलाओं को थेंक्स कहना चाहिए जिनने हमारे आप के लिए क्रमशः आम की चटनी, पना, टहुआ , बगजा और उसके बाद सु स्वाद अमावट तक का अनुसन्धान किया ही था। पांच प्रकार के अचार भी बना दिये थे जिनमें पहला कचेलियों का अचार, दूसरा सूती से छील कर बनने वाला छुन्ना का अचार, तीसरा पनीहा अचार जो एकाध महीना के खाने के लिए बनता है। चौथा अमकरियों का अचार और पाँचमा तेलहा अचार जो वर्षों तक रखा रहता है।


इन समय हम कई दिनों से आम की चटनी, पना और टहुआ का आनंद ले रहे हैं । आप भी इन सबको खाकर लुत्फ उठाइये। क्योकि प्रकृति ने अलग- अलग समय में अलग-अलग मौसमी फल इसीलिए बनाया है कि आप उसके व्यंजनों का आनंद लें सकें। पर हां एक निहित स्वार्थ आप से इन देसी आम के पेड़ों का भी है कि आप उनके वंश परिवर्धन का भी पूरा -पूरा ख्याल रखें।

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