Anil kumble Love Story: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कोच और किंग्स इलेवन पंजाब के मेंटर अनिल कुंबले 17 अक्टूबर को 51 साल के हो गए। जंबो के नाम से मशहूर भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार खिलाड़ी अनिल कुंबले अपने बेहतरीन खेल के साथ-साथ अपनी लव लाइफ को लेकर भी चर्चा में रहे हैं। शादीशुदा महिला से प्यार करने से लेकर उसकी बेटी की कस्टडी लेने तक, वह हमेशा सुर्खियों में रहे हैं। आज उनके जन्मदिन पर आइए आपको बताते हैं कुंबले और चेतना की लव स्टोरी के बारे में…
कर्नाटक में हुआ था अनिल कुंबले का जन्म। Anil kumble Love Story
अनिल कुंबले का जन्म 17 अक्टूबर 1970 को कर्नाटक के बेंगलुरु में कृष्णा स्वामी और सरोजा के घर हुआ था। 1992 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने वाले कुंबले को बचपन से ही क्रिकेट का शौक था। उन्होंने 19 साल की उम्र में मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड में अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की थी। अनिल कुंबले ने 1999 में दिल्ली के फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में पाकिस्तान के खिलाफ एक पारी में सभी 10 विकेट लिए थे। उनका रिकॉर्ड आज तक कोई नहीं तोड़ पाया है। उनसे पहले इंग्लैंड के एक गेंदबाज ने भी 1956 में यह कारनामा किया था। हालांकि, अनिल कुंबले ने उनसे कम ओवरों में यह कारनामा किया था।
अनिल को हुआ पहली नजर में शादीशुदा महिला से प्यार।
भारत के सबसे सफल गेंदबाज की प्रेम कहानी भी सुर्खियों में रही है। उन्हें शादीशुदा महिला से प्यार हो गया था। उनकी पत्नी चेतना रामतीर्थ एक ट्रैवल एजेंसी में काम करती थीं। अनिल को चेतना से पहली मुलाकात में ही प्यार हो गया था। उस समय चेतना शादीशुदा थीं। उनकी शादी 1986 में मैसूर के एक स्टोरब्रोकर से हुई थी। इस शादी से उनकी एक बेटी भी थी। हालांकि, वह अपनी शादीशुदा जिंदगी से खुश नहीं थीं, इसलिए पति से दूर रहने के लिए उन्होंने एक ट्रैवल एजेंसी में काम करना शुरू कर दिया। जहां उनकी मुलाकात अनिल कुंबले से हुई।
1998 में चेतना ने अपने पहले पति को तलाक दे दिया। Anil kumble Love Story
पहले वे दोस्त बने और फिर मिलने लगे। इसके बाद चेतना ने कुंबले से कहा कि उनका रिश्तों से विश्वास उठ गया है। चेतना ने 1998 में अपने पति से पूरी तरह अलग होने का फैसला किया, जिसमें कुंबले ने उनका साथ दिया। अपने पहले पति से अलग होने के बाद अनिल और चेतना ने 1999 में एक दूसरे से शादी कर ली। हालांकि, शादी के बाद भी उन्हें कई सालों तक कोर्ट के चक्कर लगाने पड़े, क्योंकि वह चेतना की बेटी आरुणी को अपना नाम देना चाहते थे। 1998 से 2004 तक चली लड़ाई के बाद कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया और उन्होंने आरुणी को अपनी बेटी के तौर पर अपना लिया। वह अपने परिवार से बेहद प्यार करते हैं।
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