गया जी धाम में ऐसे स्थिापित हुई पिंडदान की परंपरा, स्वयं विष्णु जी रहते है यहा मौजूद

बिहार। राज्य के गया जी धाम में पिंडदान करने का अत्यंत महत्व है क्योंकि यह गयासुर राक्षस के शरीर से जुड़ा हुआ है, जिस पर भगवान विष्णु ने वरदान दिया था कि यहां पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होगी। इसके अतिरिक्त, भगवान राम ने भी त्रेता युग में अपने पिता दशरथ का पिंडदान यहीं किया था, जिससे गया में पिंडदान करने की परंपरा स्थापित हुई और यह पितरों के मोक्ष और उनके उद्धार के लिए एक प्रमुख तीर्थस्थल बन गया। गया को मोक्ष की भूमि और विष्णु की नगरी भी कहा जाता है. यह पितरों के पिंडदान और तर्पण का एक पवित्र स्थल है, जहाँ ऐसा माना जाता है कि पितृ देवता के रूप में भगवान विष्णु स्वयं उपस्थित रहते हैं।

कौन था गयासुर

पौराणिक कथा के अनुसार, गयासुर नामक राक्षस ने भगवान विष्णु की कठोर तपस्या की और वरदान मांगा कि उसका शरीर देवों से भी पवित्र हो जाए, और उसे छूने या देखने मात्र से लोग पापमुक्त हों। वरदान के बाद गयासुर का शरीर पत्थर के रूप में फैल गया, और आज इसी को गया नगरी के नाम से जाना जाता है। भगवान विष्णु ने गयासुर को यह वरदान दिया था कि इस स्थान पर किया गया पिंडदान पितरों की आत्मा को मोक्ष प्रदान करेगा।

गया में फल्गु नदी के तट पर भगवान राम ने किया था पिंडदान

गंथ्रों में जो उल्लेख मिलते है उसके तहत त्रेता युग में भगवान राम ने गया में फल्गु नदी के तट पर अपने पिता दशरथ का पिंडदान किया था। तब से गया जी में इस स्थान पर पितरों के लिए पिंडदान करने की परंपरा शुरू हुई। ऐसी मान्यता है कि गया जी में किए गए पिंडदान से पितरों को प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है और उन्हें स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। गया में पिंडदान करने से मनुष्य पर से पितृ ऋण समाप्त होता है। गरुड़ पुराण, वायु पुराण और विष्णु पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में भी गया में पिंडदान के महत्व का वर्णन मिलता है, इसलिए, देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु अपने पितरों को मोक्ष दिलाने और उनका उद्धार करने के लिए पितृपक्ष के दौरान गयाजी आते हैं और वहां विधि-विधान से पिंडदान करते हैं।

गया जी को ऐसे मिली प्रसिद्धी

गया मुख्यतः दो मुख्य कारणों से प्रसिद्ध है, यह बौद्ध धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है, क्योंकि यहीं भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था और इसे बोधगया कहते हैं। यह हिंदू धर्म का एक पवित्र स्थल है, जहाँ पितरों के मोक्ष के लिए पिंडदान और श्राद्ध कर्म किया जाता है. इसके अलावा, इसका ऐतिहासिक महत्व भी है और यहाँ कई प्राचीन मंदिर और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल महाबोधि मंदिर स्थित है। बोधगया, जो गया शहर के पास है, वह स्थान है जहाँ गौतम बुद्ध को बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. यह दुनिया भर के बौद्धों के लिए सबसे पवित्र स्थलों में से एक है।

ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व

गया का उल्लेख रामायण और महाभारत जैसे प्राचीन भारतीय महाकाव्यों में मिलता है, जो इसके लंबे इतिहास और महत्व को दर्शाता है। यह मंदिर यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल है और यह बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है। विष्णुपाद मंदिर, फल्गू नदी और प्रेतशिला पहाड़ी जैसे कई अन्य स्थान भी गया में हैं जो धार्मिक और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण हैं।

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