धर्म शास्त्र। कुरूक्षेत्र में लड़ा गया महाभारत का युद्ध ऐसा भंयकर युद्ध था, जिसे इतिहास के सबसे भीषण युद्ध महाकाव्यों में गिना जाता है। इस युद्ध में एक से बढ़कर एक धुरधर योद्धा शामिल रहे, तो महाभारत के युद्ध में कई अस्त्र-शस्त्र का प्रयोग किया गया था। ये शस्त्र प्राचीन होकर भी बहुत आधुनिक थे। इनमें से पाँच ये शक्तिशाली अस्त्र थे। जिसमें ब्रह्मास्त्र, पाशुपतास्त्र, नारायणास्त्र, अग्न्यास्त्र और वायव्यास्त्र। इन शस्त्रों में भगवान कृष्ण का सुदर्शन चक्र और नारायणस्त्र शस्त्र भी शामिल था। ये अस्त्र अत्यंत विनाशकारी थे और एक ही प्रहार में युद्ध को समाप्त कर सकते थे।
ब्रह्मास्त्र
ब्रह्मा द्वारा निर्मित, यह एक अचूक और विनाशकारी अस्त्र था। जिसका मुकाबला केवल दूसरा ब्रह्मास्त्र ही कर सकता था। इसका प्रयोग करने से भूमि बंजर हो जाती थी और आकाश अंधकारमय हो जाता था।
पाशुपतास्त्र
भगवान शिव का यह अस्त्र अत्यंत शक्तिशाली और प्रलयंकारी था, जिसे केवल चरम स्थिति में ही प्रयोग किया जा सकता था।
नारायणास्त्र
भगवान विष्णु से संबंधित यह अस्त्र मन की भावना के अनुसार स्वयं कार्य करता था और इसका प्रयोग केवल एक बार किया जा सकता था।
अग्न्यास्त्र
अग्निदेव से संबंधित यह अस्त्र शत्रु पक्ष में भयंकर अग्नि प्रज्वलित कर देता था, जो सब कुछ जला सकती थी।
वायव्यास्त्र
वायु देव का यह अस्त्र तूफान और भयंकर वायु से शत्रु को तहस-नहस कर सकता था, जिससे शत्रु का संतुलन बिगड़ जाता था।
