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MP के इस शहर में कुत्तों का कहर, 23 दिन में 494 केस

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MP के ग्वालियर जिले में इन दिनों आवारा कुत्तों का कहर जारी है. हालत ये हैं कि रोज कई घायल लोग अपना इलाज कराने अस्पताल पहुंच रहे हैं. बताया गया कि महज 23 दिनों में 494 केस अब तक जिला अस्पताल में इलाज के लिए पहुंच चुके हैं.

मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले में इन दिनों कुत्तों का आतंक है. हालत ये हैं कि रोजाना कई लोग अपने जख्म लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि यह किसी लड़ाई झगड़ा या चोट के निशान नहीं हैं, बल्कि यह शहर में घूम रहे आवारा कुत्तों के काटने से घायल हुए लोग हैं. शहर में इन दिनों आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ा गया है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि महज 23 दिनों में 494 केस अब तक जिला अस्पताल में इलाज के लिए आ चुके हैं.

ग्वालियर के सौंसा से एक मामला सामने आया था कि एक घर के बाहर 11 साल का बच्चा खेल रहा था. तभी उस पर कुत्तों के एक झुंड ने हमला कर दिया। कुत्तों द्वारा बच्चे का आधा होंठ काट लिया गया. इसके अलावा उसे कई जगह काटा। कुत्तों के हमले से बच्चा डरा सहमा अपने घर से बाहर भी नहीं निकल रहा. एक युवती पर भी कुत्तों ने हमला कर उसकी हालत ख़राब कर दी. चेहरे पर कई जगह दांतों के निशान थे. इतना ही नहीं उसके कान के निचले हिस्से से मास भी नोच लिया।

लोगों में कुत्तों का कहर

बताया जा रहा है कि अब ग्वालियर के लोग अपने घरों से बाहर निकलने में डर महसूस कर रहे हैं. कुत्तों द्वारा सबसे सॉफ्ट टारगेट घर के बाहर खेल रहे बच्चे या बुजुर्ग होते हैं, जो उनसे लड़ नहीं सकते हैं. इसलिए वो उनको अपना शिकार बना रहे हैं. लेकिन इन सबके बीच आम आदमी कुत्तों के आतंक से परेशान है. लोगों का कहना है कि शहर में अब कुत्ते हिंसक हो गए हैं, लेकिन उन्हें पकड़ने के लिए नगर-निगम और स्वास्थ्य विभाग कोई एक्शन नहीं ले रहा है.

ग्वालियर में आवारा कुत्तों की स्थिति

ग्वालियर जिले में 50 हजार से अधिक कुत्ते हैं. 10 शिकायतें प्रतिदिन निगम के पास उन्हें पकड़ने की आ रही हैं. 1 एनिमल केयर फाउंडेशन फर्म को आवारा डॉग्स पकड़ने की जिम्मेदारी दी है. 30 लाख रुपए का ठेका कुत्तों को पकड़ने के लिए दिया गया है. रोजाना शहर में लोग कुत्तों के काटने से गंभीर रूप से घायल हो रहे हैं. वहीं दूसरी ओर ग्वालियर में लगभग दो महीने पहले बंद हो चुके कुत्तों के नसबंदी सेंटरों को अब तक शुरू करने का कोई प्रयास भी नहीं किया गया.

वहीं यदि इनके बर्थ कंट्र्रोल की बात की जाए तो उस पर भी कोई ठोस काम नहीं हो रहा है. इनकी आबादी प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है. इसके अलावा कुत्तों के मामले में स्वास्थ्य विभाग भी अपनी जिम्मेदारियों से बच रहा है. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि हमारा काम इलाज करना है. कुत्ते पकड़ने का काम नगर निगम करे ये उनका काम है.

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