भाजपा राष्ट्रीय अधिवेशन में क्या हुआ: बीजेपी के राष्ट्रीय अधिवेशन में राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर एक प्रस्ताव पारित हुआ. इस प्रस्ताव के अनुसार अब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए चुनाव अनिवार्य नहीं होगा, बल्कि पार्लियामेंट्री बोर्ड अध्यक्ष की नियुक्ति कर सकेगा।
इस प्रस्ताव के पास होने के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) का कार्यकाल भी जून 2024 तक के लिए बढ़ा दिया गया है. जेपी नड्डा को जून 2019 में बीजेपी की बतौर कार्यकारी कमान सौंपी गई थी. इसके बाद 20 जनवरी 2020 को वे पूर्णकालिक अध्यक्ष बन गए थे.
वैसे भी भाजपा के इतिहास में आजतक राष्ट्रीय अध्यक्ष को चुनने की नौबत नहीं आई है. इसी बात को बीजेपी आतंरिक लोकतंत्र कहती है. यानी यहां सर्वसम्मति से किसी के भी नाम पर मुहर लगा दी जाती है और किसी प्रकार का विरोध नहीं होता है.
भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने की प्रक्रिया
पार्टी के संविधान की धारा 19 में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की व्यवस्था बताई गई है. इसके मुताबिक पार्टी के अध्यक्ष का निर्वाचन एक निर्वाचक मंडल द्वारा होता है. इसमें राष्ट्रीय परिषद और प्रदेश परिषदों के सदस्य होते हैं. अध्यक्ष चुने जाने के लिए उम्मीदवार का बीजेपी में 15 वर्ष का कार्यकाल होना अनिवार्य है. निर्वाचक मंडल में कुल 20 मेंबर राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव की योग्यता रखने वाले व्यक्ति के नाम का प्रस्ताव रखेंगे।
यह संयुक्त प्रस्ताव कम से कम 5 ऐसे प्रदेशों से भी आना जरूरी है, जहां राष्ट्रीय परिषद के चुनाव संपन्न हो चुके हों। इसके अलावा इस तरह के चुनाव के लिए नामांकन पत्र पर उम्मीदवार की स्वीकृति भी जरूरी है।
भाजपा के संविधान के मुताबिक कम से कम 50% यानी आधे राज्यों में संगठन चुनाव के बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव किया जा सकता है। इस लिहाज से देश के 29 राज्यों में से 15 राज्यों में संगठन के चुनाव के बाद ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होता हैं।