आज भी देश-दुनिया में कई ऐसी खतरनाक और गंभीर बीमारियां हैं, जिनका कोई इलाज नहीं मिल पाया है। यही वजह है कि फरवरी के आखिरी दिन दुर्लभ रोग दिवस मनाया जाता है। इसे पहली बार 29 फरवरी 2008 को यूरोप-कनाडा में मनाया गया था। दुर्लभ रोग दिवस मनाने के लिए इस तारीख को इसलिए चुना गया क्योंकि यह भी एक दुर्लभ दिन है, जो हर चार साल में एक बार आता है। इस दिन को मनाने का मकसद लोगों को उन बीमारियों के प्रति जागरूक करना है, जिनका इलाज आज तक नहीं मिल पाया है। यह सुनकर आपको हैरानी हो सकती है लेकिन यह सच है कि आज भी दुनिया में कई ऐसी गंभीर बीमारियां हैं, जिनका कोई इलाज नहीं है।
स्क्लेरोडर्मा एक ऐसी बीमारी है, जिसमें त्वचा की कोशिकाएं मर जाती हैं और त्वचा पर एक पतली परत जम जाती है। इस बीमारी के कारण मरीजों को त्वचा पर दर्द, जलन और खुजली की समस्या होती है।
FOP एक ऐसी बीमारी है, जिसमें हड्डियों की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और शरीर के अलग-अलग हिस्सों में हड्डियों की परतें जमने लगती हैं। इस बीमारी के कारण हड्डियों में दर्द, अकड़न जैसी समस्याएं होती हैं।
प्रोजेरिया एक दुर्लभ बीमारी है, जिसमें बच्चे की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया बहुत तेज हो जाती है और वह बहुत जल्दी बूढ़ा हो जाता है। मतलब कम उम्र में ही बुढ़ापे के लक्षण दिखने लगते हैं। इस बीमारी के कारण मरीजों को त्वचा पर झुर्रियां, बाल झड़ना और हड्डियों में कमजोरी की समस्या होती है।
एलिस-वैन क्रेवेल्ड सिंड्रोम में मरीजों के हाथ और पैरों की उंगलियों में विकार होता है। इस बीमारी के कारण मरीजों को चलने में भी समस्या होती है। यह हड्डियों के विकार से संबंधित एक आनुवंशिक बीमारी है।
मॉर्फिया एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है। इसके मरीजों की त्वचा बहुत धीरे-धीरे बढ़ने लगती है और उनके शरीर पर एक मोटी परत जम जाती है। इससे त्वचा पर असहनीय दर्द, जलन और खुजली होती है।