MP Heat Stroke Alert | तापमान में बढ़ोत्तरी को देखते हुए सीएमएचओ भोपाल द्वारा हीट स्ट्रोक से बचाव के लिए एडवाइजरी जारी की गई है। शासकीय और निजी अस्पतालों को लू के प्रकरणों के उपचार के लिए अलर्ट पर रहने के निर्देश जारी किए गए हैं।
स्वास्थ्य संस्थाओं में हीट स्ट्रोक मरीजों के उपचार के लिए बेड आरक्षित करने, वार्डों को ठंडा रखने के लिए कूलर अथवा अन्य संभव उपाय, ओपीडी मरीजों में लू के लक्षणों की जांच, पेशेंट डिस्चार्ज सुबह 9.00 के पूर्व या शाम 4.00 के बाद किए जाने के निर्देश दिए गए हैं।
हीट रिलेटेड इलनेस सर्विलेंस के लिए सभी स्वास्थ्य संस्थाओं को आईएचआईपी पोर्टल पर रिपोर्टिंग करने के लिए निर्देशित किया गया है।
जानलेवा हो सकता है हीट स्ट्रोक
हीट स्ट्रोक होने पर शरीर का तापमान 104 डिग्री फारेनहाइट तक पहुंच जाता है। यह स्थिति धीरे-धीरे या एकाएक भी आ सकती है। जटिल अवस्था होने पर किडनी काम करना बंद कर सकती है। लू लगने पर अगर तुरंत उपचार न किया जाए तो व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।
लक्षणों की जल्द पहचान करके बीमारी की गंभीरता को किया जा सकता है कम
तेज बुखार के साथ मुंह का सूखना, शरीर का तापमान अधिक होने के बावजूद पसीने का न आना, चक्कर और उल्टी आना, कमजोरी के साथ शरीर में दर्द होना, सिर में भारीपन और दर्द का अनुभव होना, अधिक प्यास लगना और पेशाब कम आना, भूख कम लगना, बेहोश होना, लू लगने के लक्षण है। इन लक्षणों की पहचान जल्द से जल्द किया जाना जरूरी है, जिससे शीघ्र उपचार शुरू किया जा सके।
लू से बचने के लिए क्या करें
तेज धूप और गर्मी में ज्यादा देर तक रहने के कारण शरीर में पानी और नमक की कमी हो जाती है। इससे बचाव के लिए जरूरी है कि बहुत अधिक समय तक धूप के सीधे संपर्क में न रहे। तेज गर्मी होने पर अधिक मात्रा में पानी पीना, सर और कानों को कपड़े से अच्छी तरह से ढकना, हल्के सूती वस्त्र पहनना तथा धूप में चश्मा, छाता, टोपी एवं जूता पहनना जरूरी है। पसीना अधिक आने की स्थिति में ओआरएस घोल, लस्सी, मठ्ठा एवं फलों का रस पीना चाहिए । चक्कर या मितली आने पर छायादार स्थान पर रुक कर आराम करना, शीतल पानी अथवा उपलब्धता अनुसार फलों का रस लस्सी आदि का सेवन किया जाना चाहिए।
हीट स्ट्रोक से बचने के लिए क्या न करें
खाली पेट बाहर न निकले , ज्यादा समय तक धूप में खड़े होकर व्यायाम मेहनत एवं अन्य कार्य से बचना, बच्चों और पालतू जानवरों को गाड़ी में अकेला न छोड़ना, चाय, कॉफी, अत्यधिक मीठे पदार्थ व गैस वाले पेय पदार्थों का सेवन न किया जाए।
लू लगने पर करें शरीर का तापमान कम करने के उपाय
लू लगने पर प्रारंभिक तौर पर रोगी को तुरंत छायादार जगह पर कपड़े ढीला कर लेटा दें एवं हवा करें। रोगी के बेहोश होने की स्थिति में कोई भी भोज्य अथवा पेय पदार्थ न दे। शरीर का तापमान कम करने के लिए संभव हो तो ठंडा पानी से स्नान करवाएं या उसके शरीर पर ठंडे पानी की पट्टियां रखकर पूरे शरीर को ढक दें। इस प्रक्रिया को तब तक दोहराना चाहिए जब तक शरीर का तापमान कम नहीं हो जाता है। उल्टी होने, सर दर्द, तेज बुखार की स्थिति होने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में सलाह लेनी चाहिए।
स्वास्थ्य संस्थानों में बनाए गए हैं ओआरएस जिंक कॉर्नर
जिले की सभी स्वास्थ्य संस्थाओं में ओआरएस जिंक कॉर्नर बनाए गए हैं। यहां पर ओआरएस एवं जिंक की उपलब्धता के साथ-साथ, घोल बनाने की विधि, उपयोग के तरीके एवं इससे होने वाले लाभ भी समझाए जा रहे हैं। ओआरएस का घोल शरीर में पानी की कमी को दूर करता है, साथ ही दस्त होने के अंतराल को भी कम करता है।
गंभीर स्थिति में स्वास्थ्य संस्था में लें उपचार
हीट स्ट्रोक जानलेवा हो सकता है। लू लगने पर व्यक्ति शॉक में चला जाता है। लू लगने पर मरीज के होश में होने पर उसे पानी पिलाकर शरीर के तापमान को कम करने के उपाय किए जाने चाहिए। शरीर में पानी की कमी ना हो इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए। मरीज को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाना जरूरी है। छोटे बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों का गर्मी के मौसम में विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि तेज गर्मी में हीट स्ट्रोक, हीटएक्ज़ाशन , हीट क्रेम्स, हीट सिंकोप, हीट रेशेज, रबडोमायोलिसिस जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। जिले की सभी स्वास्थ्य संस्थाओं में नेशनल एक्शन प्लान ऑन हीट रिलेटेड इलनेस के अनुसार सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई हैं।