सबके अंदर छिपा है एक Dark Horse बस पहचानने की जरूरत है

About Darke Horse In Hindi: कल ही कल ही संघ लोकसेवा आयोग ने यूपीएससी 2024 के परिणाम जारी किए हैं। जिसमें कुल 1009 अभ्यर्थियों का मेरिट लिस्ट में नाम आया है। यानि की लाखों लोगों ने इस परीक्षा के लिए फॉर्म फिल किया था। लेकिन सिलेक्टेड केवल लगभग 1000 हजार लोग हुए। जिसके बाद बहुत से इस एग्जाम की तैयारी कर रहे अभ्यर्थी जरूर निराश हुए होंगे। तो ऐसे लोगों को नीलोत्पल मृणाल का नॉवेल डार्क हॉर्स को पढ़ने की जरूरत है

Dark Horse Novels

डार्क हॉर्स का मतलब क्या है | what does Dark Horse mean

डार्क हॉर्स एक मुहावरा है जो किसी ऐसे व्यक्ति या चीज़ को संदर्भित करता है जो अप्रत्याशित रूप से सफल होता है या अपनी क्षमता दिखाता है अक्सर जब लोग उनसे ऐसी उम्मीद नहीं करते हैं। यह मुहावरा विभिन्न संदर्भों में उपयोग किया जाता है जैसे कि खेल राजनीति, व्यवसाय या व्यक्तिगत जीवन में। डार्क हॉर्स में अक्सर छिपी हुई क्षमता होती है जो समय के साथ उजागर होती है। डार्क हॉर्स अक्सर अपनी सफलता के बाद नई पहचान और प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं और लोगों को आश्चर्यचकित करते हैं।

अप्रत्याशित सफलता प्राप्त करते हैं डार्क हॉर्स | Dark horses achieve unexpected success

इस मुहावरे का उद्गम घुड़दौड़ से हुआ है जहां एक डार्क हॉर्स एक ऐसा घोड़ा होता है जिसकी क्षमता और प्रदर्शन के बारे में बहुत कम जानकारी होती है जिससे उसके जीतने की संभावना का अनुमान लगाना मुश्किल होता है। माना जाता है रेस में डार्क हॉर्स अक्सर अप्रत्याशित रूप से सफल होते हैं जिससे लोग आश्चर्यचकित होते हैं।

कौन हैं नीलोत्पल मृणाल | Niloptal Mrinal, author of Dark Horse

नीलोत्पल मृणाल जो नई वाली हिंदी के एक लोकप्रिय लेखक हैं। सोशल मीडिया में एक्टिव लोगों को इनका नाम सुना सुना लग रहा होगा, अरे यह वही हैं जिनके कारण सोशल मीडिया में गमछा क्रांति आई थी। उनके बैक टू बैक तीन उपन्यास आ चुके हैं। डार्क हॉर्स, औघड़ और यार जादूगर। और युवाओं को ये बहुत पसंद भी आए थे।

डार्क हॉर्स उपन्यास | Dark Horse novels

आज बात करते हैं डार्क हॉर्स की, जो 2016 हिंदयुग्म प्रकाशन से प्रकाशित हुआ था। यह नॉवेल दिल्ली के मुख़र्जी नगर में रहकर सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले हिंदी पट्टी के हिंदी मीडियम वाले युवाओं पर आधारित है। इस पूरी कहानी मे संतोष केंद्रीय पात्र है और दूसरे पात्र हैं- रायसाहेब, मनोहर, भरत, जावेद, विमलेंदू और गुरु। थोड़ा सा जिक्र विदिशा और पायल का भी है और भी कई मनोरंजक पात्र हैं भी हैं। उपन्यास में भारत छोटे-छोटे शहरों और गाँव से दिल्ली आए युवाओं की दिल्ली के शहरी परिवेश में ढलने को भी बड़े मजेदार ढंग से प्रस्तुत किया गया है। इस कहानी का नायक संतोष बिहार के एक छोटे से शहर भागलपुर से दिल्ली, यूपीएससी एग्जाम की तैयारी करने के लिए आता है। अंत में बहुत सारे सारे संघर्षों और कठिनाइयों के बाद भी संतोष आईपीएस ऑफिसर बन ही जाता है।

उपन्यास में गुरु नाम का उभरता किरदार | An emerging character named Guru in Dark Horse

हालांकि कहने को तो इस उपन्यास का नायक संतोष है, लेकिन इस पुरे कहानी जो पात्र सर्वाधिक उभर कर आता है वह गुरु का है। शायद इसीलिए के वह किसी भी स्थिति में निराश नहीं होता है, तब भी नहीं जब वह यूपीएससी में दो बार इंटरव्यू राउंड क्लियर नहीं कर पाता और तब भी नहीं जब वह आखिरी एटेम्पट मे पी. टी. तक में फ़ैल हो जाता है। तब भी नहीं जब उसका प्यार उससे रिश्ता ना आगे बढ़ाने का फैसला करती है। भेड़चाल से भरे रास्तों पर वह गुमराह करने वाला नहीं सब को रास्ता दिखाता है और खुद में खुद की ही तलाश करता रहता है। उसके द्वारा कहा गया एक वाक्य है –
“हाँ मनोहर भाषा तो सब जरुरी हैं, अंग्रेजी व्यापार की भाषा है, उर्दू प्यार की भाषा है और हिंदी व्यवहार की भाषा है” वह धारा प्रवाह अंग्रेजी नहीं बोल सकता वह इसे खुल के स्वीकार करता है, हालांकि अपने इंटरव्यू में असफलता का कारण वह अपनी इस कमजोरी को नहीं मानता है।

कलेक्टर बनाने के लिए फ़ैला कोचिंग सेंटर का जाल | Dark Horse explains the trap of coaching

उन्होंने सधे हुए शब्दों में ही सही लेकिन कोचिंग सेंटर्स और उनके जाल में फंसे छोटे शहरों से बड़े सपने लेकर आए लड़के अज्ञानतावश कोचिंग माफियाओं के शिकंजे में फंस जाते हैं। जब तक वह कुछ समझ पाते हैं देर हो चुकी होती है। इसके अलावा इस उपन्यास में मध्यवर्ग और छोटे शहरों से आए युवकों की और भी कई समस्याओ को भी छुआ गया है जो सामाजिक भी और आर्थिक भी। इसको एक बार जरूर पढ़ना चाहिए, मुख्यत: उनको जो सिविल सर्विस की प्रिपरेशन कर रहे हैं या करना चाहते हैं।

यूपीएससी की तैयारी किया करते थे नीलोत्पल मृणाल | Niloptal Mrinal, author of Dark Horse

हालांकि यह उपन्यास केवल कल्पना मात्र नहीं है यथार्थ भी है जिसे लेखक ने खुद भोगा है। उन्होंने अपनी जिंदगी के कई वर्ष मुख़र्जी नगर में सिविल एग्जाम की तैयारी करते हुए बिता दिए हैं। वह झारखण्ड से आते हैं और वर्तमान समय में भोपाल में रहते हैं। हालांकि उनका सिलेक्शन तो नहीं हो पाया लेकिन उनकी कलम से यह बेहतरीन रचना निकली, जिसका नायक लास्ट में आईपीएस ऑफिसर बन जाता है। अपनी पहली ही रचना के लिए उन्हें साहित्य अकेडमी अवार्ड मिला और इनका नॉवेल बेस्ट सेलर रहा है, और अभी भी यह बेस्ट सेलर बना हुआ है।

उपन्यास में छिपा अभ्यर्थियों के लिए संदेश | Message for candidates hidden in Dark Horse

इस नॉवेल का दी एन्ड एक सूत्र वाक्य के साथ होता है “जिंदगी आदमी को दौड़नेके लिए कई रास्ते देती है, जरुरी नहीं है की सब एक ही रास्ते दौड़े, जरुरत है कि कोई एक रास्ता चुन लोऔर उस ट्रैक पर दौड़ पड़ो, रुको नहीं…दौड़ते रहो, क्या पता तुम किस दौड़ के डार्क हॉर्स साबित हो जाओ, हम सबके अंदर एक डार्क हॉर्स बैठा है, जरुरत है उसे दौड़ाए रखने की जिजीविषा की, तो चलिए देखते हैं अगला डार्क हॉर्स कौन? कहीं वह आप ही तो नहीं!जय हो!

यानि की जरूरी नहीं कि आप यूपीएससी ऑफिसर ही बनें, आपको अपने अंदर की प्रतिभा, जिजिविषा और लगन की बलबूते आप सफल जरूर होंगे, इसीलिए मेहनत और ईमानदारी से जिंदगी में आगे बढ़िए।

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