Death Anniversary Of SP Balasubrahmanyam: आज बात करते हैं, सन 1966 में तेलगु फिल्म “श्री श्री श्री मर्यादा रमन्ना” से पार्श्वगायक के रूप में भारतीय फिल्म जगत से जुड़ने वाले श्रीपति पंडितराध्युला बालसुब्रमण्यम की , जिन्हें बालु भी कहते हैं, जिन्होंने तेलुगु , तमिल , कन्नड़ , मलयालम और हिंदी फिल्मों सहित कुल 16 भाषाओं में 50000 से ज़्यादा गाने गाए हैं जो एक रिकॉर्ड के रूप में गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है ,यही नहीं उन्होंने एक दिन में तमिल में 19 गाने और हिंदी में 16 गाने रिकॉर्ड किए।
कैसे बन गए सलमान ख़ान की आवाज़:-
वो पार्श्व गायक , टेलीविजन प्रस्तुतकर्ता, अभिनेता, संगीतकार, डबिंग कलाकार और फिल्म निर्माता भी रहे
पर हिंदी फिल्मों में उनकी आवाज़ का जादू पहली बार चला 1981 में आई फिल्म, ‘एक दूजे के लिए ‘ से जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ पुरुष पार्श्वगायक का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला , जहां उनकी मख़मली आवाज़ कमल हसन के लिए एक दम परफेक्ट लगी तो वहीं कुछ वक्त बाद आई फिल्म ,’ मैने प्यार किया ‘ में सलमान खान पे भी फिट बैठी इस फिल्म के गीत ‘ दिल दीवाना ‘ के लिए अब आपने सर्वश्रेष्ठ पुरुष पार्श्व गायक का फिल्मफेयर पुरस्कार जीत लिया और अगले कुछ दशक तक, एस पी बालासुब्रमण्यम सलमान खान की फिल्मों में उनके गीतों पर अपनी “रोमांटिक आवाज़” का जादू बिखेरते रहे इसके बाद उनकी फिल्म ‘ हम आपके हैं कौन …’ आई जो अब तक की सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली हिंदी फिल्म बनीं इसमें लता मंगेशकर के साथ बालासुब्रमण्यम का युगल गीत , ” दीदी तेरा देवर दीवाना “, बहुत लोकप्रिय हुआ और एस पी बालासुब्रमण्यम ९० के दशक में सलमान खान की आवाज़ के रूप में पहचाने जाने लगे, दूसरी तरफ दक्षिण भारत में आपको एस जानकी और इलैयाराजा के साथ , तिकड़ी के रूप में पहचान मिली जिसे 1970 के दशक के अंत से लेकर 1980 के दशक तक तमिल फिल्म उद्योग में बेहद सफल माना गया हालाँकि उनके गाने शास्त्रीय संगीत पर आधारित थे, जिसके लिए इलैयाराजा और बालासुब्रमण्यम ने सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक और सर्वश्रेष्ठ पुरुष पार्श्वगायक के राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीते।
कई राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते :-
धीरे -धीरे अपनी आवाज़ और गायकी के दम पर एस पी बालासुब्रमण्यम हमारे देश के चहीते गायक बन गए ।
उन्होंने चार अलग-अलग भाषाओं – तेलुगु, तमिल, कन्नड़ और हिंदी में अपने काम के लिए सर्वश्रेष्ठ पुरुष पार्श्वगायक के लिए छह राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते ; तेलुगु सिनेमा में अपने काम के लिए 25 आंध्र प्रदेश राज्य नंदी पुरस्कार ; और कर्नाटक और तमिलनाडु सरकारों से कई अन्य राज्य पुरस्कार इसके अलावा, साउथ को मिलाकर सात फिल्मफेयर अवॉर्ड्स जीते ।
2012 में, बालासुब्रमण्यम को आंध्र प्रदेश सरकार से एनटीआर राष्ट्रीय पुरस्कार मिला । 2015 में, उन्हें केरल सरकार से हरिवरसनम पुरस्कार मिला । 2016 में, उन्हें भारत के 47वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में भारतीय फिल्म व्यक्तित्व के पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।
कैसे सीखा गाना :-
अब आइए ज़रा उनको क़रीब से जानने की कोशिश करते हैं,
एसपी बालासुब्रमण्यम का जन्म 4 जून 1946 को वर्तमान आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में एक तेलुगु ब्राह्मण परिवार में हुआ । उनके पिता एसपी सम्बमूर्ति एक हरिकथा कलाकार थे, जिन्होंने नाटकों में भी अभिनय किया था। बालासुब्रमण्यम को कम उम्र से ही संगीत में रुचि थी इसलिए उन्होंने संगीत संकेतन का अध्ययन किया और खुद ही संगीत सीखा और दूसरी तरफ इंजीनियर बनने के इरादे से कॉलेज में दाखिला लिया जिसके बारे में वो कहते थे कि उस समय उनका एकमात्र सपना अपने पिता की महत्वाकांक्षा को पूरा करना यानी इंजीनियर बनना और सरकारी नौकरी पाना था लेकिन संगीत में दिलचस्पी इतनी थी कि
इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान संगीत का अध्ययन जारी रखा और गायन प्रतियोगिताओं में पुरस्कार भी जीते , मद्रास स्थित तेलुगु सांस्कृतिक संगठन द्वारा आयोजित एक संगीत प्रतियोगिता में पहला पुरस्कार जीता।
इस तरह उन्हें कई गायन प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ गायक के रूप में चुना गया तो थोड़ा आत्म विश्वास बढ़ा और वो
ऑडिशन देने पहुंच गए जहां उन्हें गाने के लिए गीत मिला “निलवे एन्नीदम नेरुंगधे” ,इसे अनुभवी पार्श्व गायक पीबी श्रीनिवास ने गाया था, बस यहीं से शुरू हो गया उनका ये सफर , जिसमें वो नित नयी ऊंचाइयों को, मंज़िलों को हासिल करते रहे।
संगीत से जुड़ी हर राह में महारत हासिल किया :-
बालासुब्रमण्यम ने तेलुगु संगीत रियलिटी टीवी शो ‘पदुथा थेयागा’ में मेज़बान के साथ निर्णायक की भूमिका निभाई , जो उनका टेलीविजन पर पदार्पण था।
बाला सुब्रमण्यम ने ए आर रहमान की पहली फिल्म “रोजा” में उनके लिए तीन गाने रिकॉर्ड किए और उनके भी पसंदीदा गायक बन गए।अपने करियर के दौरान, बालासुब्रमण्यम ने न केवल पार्श्व गायन के लिए, बल्कि संगीत निर्देशन, अभिनय, डबिंग और निर्माण के लिए भी पुरस्कार जीते हैं।
COVID-19 के योद्धाओं को किया सलाम :-
मई 2020 में, एस पी बालासुब्रमण्यम ने “भारत भूमि” नामक एक गीत गाया, जिसे इलैयाराजा ने पुलिस, डॉक्टर, नर्स और चौकीदार जैसे लोगों के लिए रचा था, जो COVID-19 महामारी के बीच महत्वपूर्ण रूप से काम कर रहे थे पर इसी बीमारी की चपेट में आकर 25 सितंबर 2020 को वो सदा के लिए खामोश हो गए , लेकिन
हम सबको मंत्रमुग्ध कर देने वाली एस पी बालासुब्रमण्यम की ये आवाज़ हम सब के दिलों में सदा उनकी अनुपम छवि के साथ अमर रहेगी । एस पी बालासुब्रमण्यम 54 साल के लंबे करियर वाले एकमात्र गायक थे , जो अपने अंतिम दिनों में भी प्रतिदिन कम से कम दो गाने रिकॉर्ड करते थे। उन्हें 2001 में पद्म श्री और 2011 में पद्म भूषण और 2021 में ( मरणोपरांत ) पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया ।