The system of cooperative societies increased the difficulties of farmers: रीवा। खेती के लिए खाद की कमी से जूझ रहे किसानों की समस्या को देखते हुए रविवार को मालगाड़ी से यूरिया खाद की एक रैक रीवा पहुंची। इसकी खबर फैलते ही सोमवार को बड़ी संख्या में किसान करहिया मंडी स्थित गोदाम में खाद लेने पहुंचे, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी। अधिकांश छोटे और गैर-सदस्य किसानों को खाली हाथ लौटना पड़ा, क्योंकि रेल गोदाम से यूरिया खाद की रैक सीधे सहकारी समितियों को भेज दी गई।
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सहकारी समितियां केवल अपने सदस्य किसानों को ही खाद उपलब्ध करा रही हैं, जिससे छोटे और गैर-सदस्य किसानों के सामने गंभीर संकट खड़ा हो गया है।किसानों का कहना है कि बारिश के बाद खेतों में खाद डालना अत्यंत आवश्यक है, लेकिन समय पर खाद न मिलने से उनकी फसल बर्बाद होने का खतरा मंडरा रहा है। बाजार में भी खाद की उपलब्धता न के बराबर है, जिसने स्थिति को और जटिल बना दिया है।
रीवा के ग्रामीण क्षेत्रों से आए कई छोटे किसानों ने बताया कि वे सुबह से ही गोदाम के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें खाद नहीं मिली। सहकारी समितियों की सदस्यता न होने के कारण उन्हें इस व्यवस्था से बाहर रखा जा रहा है, जिससे उनकी मेहनत और आजीविका पर संकट के बादल छा गए हैं।किसानों ने जिला प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि खाद वितरण की मौजूदा व्यवस्था छोटे किसानों के साथ अन्याय कर रही है।
उन्होंने प्रशासन से गैर-सदस्य किसानों के लिए वैकल्पिक वितरण व्यवस्था करने और बाजार में खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करने की अपील की है। किसानों ने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे मजबूरन आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे। स्थानीय कृषि अधिकारियों का कहना है कि खाद की आपूर्ति सीमित है और सहकारी समितियों के माध्यम से वितरण की प्रक्रिया को प्राथमिकता दी जा रही है।
हालांकि, छोटे किसानों की समस्याओं को देखते हुए प्रशासन वैकल्पिक व्यवस्था पर विचार कर रहा है। इस बीच, खाद की कमी और वितरण की असमानता ने रीवा के किसानों में असंतोष को बढ़ा दिया है, और वे प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं।