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योगिनी एकादशी व्रत की कथा और इसका धार्मिक महत्व

Yogini Ekadashi 2025: योगिनी एकादशी हिंदू धर्म में विशेष रूप से पुण्यदायक और पापों का नाश करने वाली एकादशियों में से एक मानी जाती है। यह आषाढ़ मास (जून-जुलाई के बीच) के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह एकादशी स्वर्ग, मोक्ष और आरोग्य प्रदान करने वाली मानी जाती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस वर्ष योगिनी एकादशी 21 जून को है।

योगिनी एकादशी क्या है

योगिनी एकादशी को व्रत, उपवास और भक्ति के माध्यम से मनाया जाता है। यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है और इसे करने वाले व्यक्ति को विशेष रूप से धार्मिक पुण्य, शारीरिक स्वास्थ्य, और मानसिक शांति प्राप्त होती है। यह सभी प्रकार के पापों और रोगों के नाश के लिए अति प्रभावी मानी जाती है।

योगिनी एकदशी व्रत की कथा

पद्म पुराण के अनुसार- अलकापुरी में यक्षराज कुबेर के यहां हेममाली नाम का एक सेवक था। उसका कार्य था भगवान शिव को पुष्प चढ़ाना। वह प्रतिदिन मानसरोवर से फूल लाता और भगवान को अर्पित करता। लेकिन एक दिन वह अपनी पत्नी विशालाक्षी के प्रेम में डूबा रह गया और ड्यूटी को भूल गया। इस लापरवाही पर कुबेर बहुत क्रोधित हुए और उसे कुष्ठ रोग का शाप दे दिया। हेममाली व्यथित होकर जंगलों में भटकता रहा।

वहाँ एक दिन वह ऋषि मार्कंडेय के दर्शन में पहुँचा और अपनी पूरी पीड़ा सुनाई। ऋषि ने उसे योगिनी एकादशी का व्रत रखने का सुझाव दिया। हेममाली ने विधिपूर्वक यह व्रत किया, और उसके सभी पापों का नाश हुआ, शरीर स्वस्थ हो गया और वह अपने पुराने जीवन में लौट आया।

योगिनी एकादशी व्रत की विधि

क्या है इस व्रत का धार्मिक महत्व

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