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भगवान शिव के ये 5 रूप जिनमें छिपी है, ब्रम्हांड की सच्चाई

The story of the many forms of Bholenath

The story of the many forms of Bholenath

4 अगस्त 2025 को सावन का आखिरी सोमवार मनाया गया. भगवान भोलेनाथ के प्रत्येक रूपों को भक्तों ने सावन के अवसर पर पूरी श्रद्धा और भक्ति से पूजा। भगवान शिव को “महादेव” कहा जाता है – देवों के देव। वे त्रिदेवों में से एक हैं और संहारक के रूप में पूजे जाते हैं। लेकिन शिव सिर्फ एक रूप तक सीमित नहीं हैं, उनके कई अंश (रूप) हैं जो अलग-अलग समय, स्थान और उद्देश्य के लिए प्रकट हुए। आइए जानते हैं महादेव के प्रमुख अंश और उनसे जुड़ी कुछ छोटी कथाओं के बारे में.

वीरभद्र – क्रोध का अंश

Story of Bholenath’s Veerbhadra form: वीरभद्र महादेव का एक ऐसा रूप जो उनके लकरोथ को दर्शाता है महादेव के इस की कहानी तब की है जब दक्ष जो माता सती के पिता थे उन्होंने यज्ञ में शिव जी और उनकी पत्नी सती का अपमान किया, और तब माता सती ने उसी यज्ञ में आत्मदाह कर लिया था तब महादेव बहुत क्रोधित हो गए और उन्होंने अपना विकराल रूप अपनाया और अपनी जटाओं से वीरभद्र को उत्पन्न किया। वीरभद्र ने दक्ष यज्ञ को तहस-नहस कर दिया और दक्ष का सिर काट दिया।

अर्धनारीश्वर – समरसता का अंश

Story of Bholenath’s Ardhanarishwar form: भोलेनाथ को अर्धनारीश्वर भी कहा जाता है महादेव के इस रूप के पीछे की कथा भी काफी रोचक है. जब एक बार माता पार्वती ने शिव से एकता का प्रमाण मांगा। तब शिव जी ने अपने शरीर का आधा भाग पार्वती को देकर अर्धनारीश्वर रूप धारण किया – यह दर्शाने के लिए कि स्त्री और पुरुष एक-दूसरे के पूरक हैं।

भैरव – रक्षक और दंडाधिकारी का अंश

Story of Bholenath’s Bhairav form: जब एक बार सृष्टि के रचइता ब्रह्मा ने अहंकारवश स्वयं को सर्वश्रेष्ठ कहा। तब शिव ने भैरव रूप लेकर ब्रह्मा का एक सिर काट दिया। जिसकी वजह से कॉल भैरव को ब्रम्हहत्या का दोष लगा भगवान शिव ने उन्हें सभी तीर्थ स्थानों पर जाकर इस दोष से मुक्ति पाने के लिए कहा। जब काल भैरव काशी पहुंचे, तो उनका सिर गिर गया और उन्हें ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति मिल गई।  इस ब्राह्मण हत्या के पाप से मुक्त होने हेतु भैरव काशी पहुंचे और वहीं के रक्षक बन गए।

पीपलनाथ (महाकाल) – मृत्यु को हराने वाला अंश

Story of Bholenath’s Peepalnath (Mahakal) form: पीपलनाथ (महाकाल) जो उज्जैन के महाकाल में स्थित है. महादेव ने महाकाल रूप उसी स्थान पर लिया जिसके पीछे भी एक कथा है. उज्जैन में चन्द्रसेन नामक राजा शिवभक्त था और सदैव शिव की आराधना में लीन रहता था। एक दिन एक छोटा बालक श्रीधर, जो गरीब ब्राह्मण का पुत्र था, चुपचाप शिवलिंग की पूजा करने लगा। यह बात पड़ोसी असुरों को खटक गई, विशेष रूप से धूषण और शंभर नामक दो राक्षसों को। उन्होंने उज्जैन पर आक्रमण कर दिया और शिवभक्तों को मारने लगे। राजा चन्द्रसेन, श्रीधर बालक और अन्य शिवभक्तों ने शिव से रक्षा की प्रार्थना की। भक्तों की पुकार सुनकर भगवान शिव ने काल से भी अधिक भयावह और उग्र रूप धारण किया, जिसे “महाकाल” कहा गया। इस रूप में उन्होंने उन राक्षसों का वध किया और भक्तों की रक्षा की। जिसके बाद उनके इस रूप को उज्जैन में पूजा जाने लगा.

एकलिंग – राजा के रक्षक का अंश (राजस्थान)

Story of the Eklinga form of Bholenath: भगवान भोलेनाथ का एकलिंगजी अवतार जिसमे भगवान् शिव के एक शिवलिंग में 4 मुखों की पूजा होती है. इसमें पूर्व दिशा में सूर्य देव, पश्चिम में भगवान ब्रह्मा, उत्तर दिशा में भगवान विष्णु और दक्षिण दिशा में भगवान शिव (रुद्र) रूप में विराजमान है. यह मंदिर 8वीं शताब्दी में बप्पा रावल द्वारा बनवाया गया था, और इसे मेवाड़ के राजाओं का राज्य माना जाता है.

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