विशेष। 2 अक्टूबर को विजयदशमी यानि की दशहरे का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन कराना शुभकारी और लाभकारी बताया गया है। जनश्रुति और धर्मशास्त्रों के मुताबिक भगवान शंकर ही नीलकंठ है। इस पक्षी को पृथ्वी पर भगवान शिव का प्रतिनिधि और स्वरूप दोनों माना गया है। भगवान शिव नीलकंठ पक्षी का रूप धारण कर धरती पर विचरण करते हैं।
धार्मिक आस्था और सौभाग्य का प्रतीक
नीलकंठ पक्षी का दर्शन धार्मिक आस्था और सौभाग्य दोनों का प्रतीक है. जीवन में सुख-शांति और समृद्धि पाने के लिए इस दिन नीलकंठ को देखना शुभ माना जाता है। ऐसे में इस पर्व का महत्व सिर्फ उत्सव तक ही सीमित नहीं बल्कि यह हमारे आध्यात्मिक जीवन को भी उज्जवल बनाता है। नीलकंठ पक्षी भगवान शिव का अवतार है. इस दिन उसके दर्शन मात्र से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी प्रकार के पाप और कष्ट दूर होते हैं.यह परंपरा त्रेता युग से चली आ रही है और इसे विशेष रूप से विजयादशमी पर किया जाता रहा है।
ऐसी है किंवदतिया
नीलकंठ पंक्षी के दर्शन को लेकर कई किंवदतिया है। शास़्त्र के जानकार बताते है कि भगवान राम को ब्रम्ह हत्या के पाप से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान शिव नीलकंठ पंक्षी के रूप में इस दिन अवतरित हुए थे और दशहरे के दिन दर्शन दिए थें। तो यह भी बताया जाता है कि भगवान राम ने रावण का वध करने से पहले नीलकंठ पंक्षी का दर्शन किए थें। तब से दशहरा पर्व पर नीलकंठ पंक्षी का दर्शन करना लाभकारी और विजय का प्रतिक माना गया है।
किसानों का मित्र
वैज्ञानिकों के अनुसार यह भाग्य विधाता होने के साथ-साथ किसानों का मित्र भी है, क्योंकि सही मायने में नीलकंठ किसानों के भाग्य का रखवारा भी होता है, जो खेतों में कीड़ों को खाकर किसानों की फसलों की रखवारी करता है।
सपने में दिख जाए नीलकंठ
सपने में नीलकंठ देखना बहुत ही शुभ माना जाता है। यह भाग्य के खुलने और बहुत बड़ी सफलता का संकेत माना जाता है। आपने अच्छे दिन शुरु होने वाले हैं। अविवाहित स्त्री या पुरुष को जल्द ही जीवनसाथी मिलने की उम्मीद है।