धार। एमपी के धार जिले में स्थित मांडू को प्रेम की नगरी के रूप में भी जाना जाता है। यहां की मल्लिका रानी रूपमति और बाजबहादुर के प्रेम की दस्तान माडू महल के कण-कण में बसी है। इस महल के निर्माण को लेकर भी दिलचस्प किस्सा है, क्योकि यह महल ही बाजबहादुर और रूपमति के मिलन का स्तंभ है। इतिहास कार लिखते है कि रानी रूपमति निमाड़ क्षेत्र के धरपपुरी गांव की रहने वाली थी। बाजबहादुर मांडू के अंतिम शासक थें। वे कला और गीत-संगीत के प्रेमी थे। निमाड़ में रहने वाली रूपमति की जितनी सुमंधर आवाज थी उसी तरह वे रूपवान भी थी। बाजबहादुर उनसे मिले और उनके दीवने हो गए।
रूपमति के शर्त पर बनाया गया था महल
बाजबहादुर के साथ रूपमति माडू जाने के लिए तो तैयार हो गई, लेकिन रूपमती ने उनके सामने शर्त रख दी। उन्होने कहां कि वे मां नर्मदा का दर्शन किए बगैर अन्न ग्रहण नही करती है। क्या माडू में मां नर्मदा दिखाई देती है।
रूपमति के लिए बाजबहादुर ने माडू के सबसे उॅचाई वाले स्थान पर बने महल को तैयार करवाया और उसके छज्जा में खड़ी होकर रूपमति मां नर्मदा का दर्शन करती और अर्द्ध देकर पूजा-अर्चना करती थी। इसके बाद वे अपने दिन की शुरूआत करती थी। यह महल रूपमति के नाम से फेमस हो गया। उसके ठीक नीचे ही बाजबहादुर ने अपने लिए महल बनवाएं थे।
इस महल से दिखाई देता है निमाड़
रानी रूपमति का माडू महल ऐसे उॅचाई वाले स्थान पर स्थित है जंहा से निमाड़ का तकरीबन पूरा हिस्सा दिखाई देता है। निमाड़ के अंतिम शासक के द्वारा बनाया गया रूपमति महल आज भी अपनी यादों को सजाए हुए खड़ा है।
एमपी के रूपमति महल का रहस्य, ऐसे किया गया था निर्माण
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