कम होंगी वक्फ बोर्ड की शक्तियां , संसद में जल्द संशोधन के लिए बिल पेश कर सकती है केंद्र सरकार

अब वक्फ बोर्ड जिस भी संपत्ति पर अपने अधिकार का दावा करेगा। उसका सत्यापन कराना जरूरी होगा। इसी तरह विवादित संपत्ति का भी सत्यापन कराना जरूरी होगा।

सूत्रों के मुताबिक़ अगले हफ़्ते वक्‍फ कानून से जुड़ा बिल संसद में लाया जा सकता है. इस संशोधन बिल को कैबिनेट की मंजूरी मिलने की खबर आ रही है. आपको बताते चले कि कैबिनेट ने वक्‍फ अधिनियम में करीब 40 संशोधनों को मंजूरी दे दी है। अगले हफ्ते इन्हें सदन में पेश किया जा सकता है. सूत्रों के अनुसार मोदी सरकार 5 अगस्त को वक्‍फ एक्ट में संसोधन के लिए बिल पेश कर सकती है.

इन संशोधन पर प्रस्ताव ला सकती है सरकार

  • विधेयक में वक्फ अधिनियम की धारा 9 और धारा 14 में संशोधन का प्रस्ताव.
  • वक्फ बोर्ड की शक्तियों को सीमित करना.
  • बोर्ड की संरचना में परिवर्तन का प्रस्ताव.
  • निकायों में महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने का प्रस्ताव

क्या है वक्फ बोर्ड ?

वक्फ अरबी भाषा का शब्द है , जिसका अर्थ होता है खुदा के नाम अर्पित वस्तु। इसके दायरे में चल व अचल दोनों प्रकार की संपत्तियां आती है. कोई भी मुस्लिम व्यक्ति जमीन , धन या कुछ भी वक्फ बोर्ड को दान कर सकता है. इनकी देख -रेख के लिए स्थानीय स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक वक्फ बॉडीज होती हैं.

आपको बता दे कि देश में कुल 30 वक्फ बोर्ड हैं. अधिकतर के मुख्यालय दिल्ली में है. केंद्र सरकार का सेट्रल वक्फ काउंसिल (Central waqf Council) इन वक्फ बोर्डों के साथ तालमेल कर काम करता है.

  1. 1954 में जवाहरलाल नेहरू सरकार ने वक्फ अधिनियम पारित किया
  2. वर्ष 1995 में प्रत्येक राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों में वक्फ बोर्ड के गठन की अनुमति देने के लिए कानून में संशोधन किया गया।
  3. बिहार जैसे राज्य में अलग अलग शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड है.
  4. देश के 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 30 वक्फ बोर्ड है.

UPA सरकार के दौरान मिले थे व्यापक अधिकार

2013 में यूपीए सरकार के दौरान मूल अधिनियम में संशोधन करके वक्फ बोर्डो को अधिक व्यापक अधिकार प्रदान किए गए थे। जो वक्फ अधिकारियों, निजी संपत्ति मालिकों और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण सहित कई लोगों की बीच विवाद का प्रमुख कारण रहा है.

क्यों पड़ी कानून की जरूरत

सूत्रों के मुताबित इस तरह की कानून की जरूरत इस लिए पड़ी क्योकि महिलाओं , मुस्लिम बुद्धिजीवियों तथा बोहरा जैसे संप्रदायों  के कई लोग मौजूदा कानून में बदलाव की मांग कर रहे थे। उन्होंने इस बात पर खासा जोर दिया कि संशोधन लाने की तैयारी 2024 के लोकसभा चुनावों से काफी पहले ही शुरू हो गई थी. उन्होंने यह भी बताया कि तमाम मुस्लिम देशों में भी किसी एक इकाई को इतने व्यापक अधिकार नहीं दिए गए है।

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