दुंबई एयर शो में क्रैश हुए लडाकू विमान के पायलट की मौत, आखिर भारत के लिए क्यू खास है तेजस

दुंबई। दुंबई एयर शो के दौरान भारत का जाबज तेजस विमान हादसे का शिकार हो गया और इसमें पायलट की मौत हो गई है। भारतीय वायुसेना ने पायलट के मौत की पुष्टि कर दी है। यह विमान तब हादसे का शिकार हुआ जब दुबंई में आयोजित एयर- शो के दौरान तेजस अपना करतब दिखा रहा था। विमान हादसे को लेकर अब जांच की जा रही है। भारत के लिए तेजस विमान काफी अंहम है, क्योकि यह भारत का स्वदेशी विमान है। जानकारी के तहत तेजस विमान को बनाने की शुरूआत 1983 में हुई थी।

18 सालों की कड़ी मेहनत के बाद तैयार हुआ था विमान

सरकार की हरी झंडी मिलते ही भारतीय सेना के लिए इस तरह का स्वदेशी विमान बनाने भारतीय साइंटिस्ट अपने मिशन पर जुट गए और उन्हे सफलता मिली। इस विमान को बनाने में वैज्ञानिकों ने दिन-रात एक कर दिया था। करीब 18 सालों की कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार जनवरी 2001 को पहली बार इस स्वदेशी फाइटर जेट ने हिंदुस्तान के आसमान में उड़ान भरी थी।

पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने दिया था नाम

तेजस देशी विमान जब तैयार हुआ तो उस समय भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे। 2003 में अटल जी ने ही इस विमान को तेजस नाम दिया था। तेजस नाम रखते वक्त प्रधानमंत्री वाजपेयी ने कहा था कि ये संस्कृत शब्द है, जिसका मतलब ‘चमक’ है।

इस तरह के है विमान

भारतीय वायु सेना में यू तो एक से बढ़कर एक लडाकू विमान है, लेकिन जो टॉप फाइटर जेट हैं उनमें सुखोई, राफेल, मिराज और तेजस जैसे विमानों का नाम शामिल है। उनमें से तेजस अपनी कई खूबियों की वजह से बाकी फाइटर जेट से अलग और खास है।

दरअसल इस विमान के 50 प्रतिशत कलपुर्जे यानी मशीनरी भारत में ही तैयार हुई है। इस विमान में मॉडर्न टेक्नोलॉजी के तहत इजराइल के रडार को लगाया गया है। इस वजह से तेजस एक साथ 10 लक्ष्यों को ट्रैक कर उन पर निशाना साधने में सक्षम है। यह विमान बेहद कम जगह यानी 460 मीटर के रनवे पर टेकऑफ करने की क्षमता रखता है। यह फाइटर जेट सबसे हल्का यानी सिर्फ 6500 किलो वजन का है।

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