जंगी लड़ाकू विमान मिग-21 का ग्वालियर से है गहरा रिश्ता, भारतीय वायुसेना से विदाई

मिग-21 लड़ाकू विमान। देश की आन-बान-शान के लिए 62 वर्षो से भारतीय वायुसेना में सेवा दे रहे मिग-21 लड़ाकू विमान की अब विदाई हो गई हैं। दुश्मनों के हल्के में आसमान से तहलका मचाने वाले इस लड़ाकू विमान का एमपी के ग्वालियर से गहरा रिश्ता रहा है। यह विमान ग्वालियर एयरबेस के आसमान से लेकर जमीन तक जांबाजी में साथ रहा है। यह विमान 1963 में पहली बार भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था।

ग्वालियर एयरबेस से भरता था उड़ान

ग्वालियर एयरबेस पर मिग-21 ने लंबे समय तक उड़ान भरी, साथ ही युद्धों से लेकर विभिन्न वायुसेना के आयोजनों में भी सहभागिता की है। यहां के अफसरों ने मिग-21 के जरिए कौशल भी दिखाया है। दरअसल देश के सबसे महत्वपूर्ण एयरबेस में शामिल ग्वालियर एयरफोर्स स्टेशन पर मिग-21 बाइसन वर्ष 2004 में भारतीय वायुसेना और यूएस एयरफोर्स के संयुक्त कोप इंडिया अभ्यास में शामिल रहा, हांलाकि 2022 के बाद से मिग-21 की गूंज ग्वालियर में सुनाई नही दी।

ग्वालियर एयरफोर्स स्टेशन इन खूबियों से है लबरेज

ज्ञात हो कि मध्यप्रदेश के ग्वालियर का महाराजपुरा एयरफोर्स स्टेशन आजादी के पहले से निर्मित है और 1942 में यह एयरबेस चालू हुआ था। तब से यह स्टेशन सेवा दे रहा है। 1965 का युद्ध हो या फिर 1971 में लड़ी गई लड़ाई के दौरान भी भारत-पाकिस्तान युद्ध में ग्वालियर के एयरफोर्स स्टेशन से लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरी थी। देश की रक्षा में तत्पर यह एयरवेस अपनी खूबियों से लवरेज है और यह स्टेशन देश का एकमात्र एयरबेस है, जहां फाइटर प्लेन में हवा में ईंधन भरा जा सकता है, यानि की अगर युद्ध के दौरान उड़ान के वक्त किसी फाइटर प्लेन को ईंधन की जरूरत पड़ी तो इस एयरबेस पर तुरंत दूसरा जेट प्लेन हवा में जाकर ही उसे रिफ्यूल कर सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *