Child Psychology | पति-पत्नी के टूटते हुए रिश्ते, और सजा भुगतता ‘आपका बंटी’

Child Psychology Ke Bare Mein Hindi Mein: इस समय भारत के बड़े-बड़े सेलिब्रेटीज के तलाक और उनके बीच अलगाव की खबरें आती रहती हैं। अब भारत की सुप्रसिद्ध न्यूज एंकर चित्रा त्रिपाठी और उनके पति जर्नलिस्ट अतुल अग्रवाल एक-दूसरे से तलाक ले रहे हैं। चित्रा त्रिपाठी और अतुल अग्रवाल की शादी 16 साल पहले हुई थी, दोनों आपसी सहमति से अलग हो रहें, इस बात की जानकारी खुद चित्रा त्रिपाठी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट के माध्यम से दी है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया है वह और अतुल अग्रवाल अपने बेटे की परवरिश अब बतौर पति-पत्नी की तरह नहीं, बल्कि सह माता-पिता के तौर पर करेंगे। हालांकि अपने देश में सह पालन-पोषण का कोई भी नियम नहीं है, जो माता-पिता की जिम्मेदारी तय कर सके।

माता-पिता के तलाक का बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ता है

अपने अहं या अन्य कारणवश माता-पिता तलाक तो ले लेते हैं, लेकिन इसके बाद उनके बच्चों पर कितना नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, इसकी शायद उनको चिंता नहीं होती। लेकिन मनोचिकित्सकों का कहना है, माता-पिता के अलगाव के कारण उनके बच्चों पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ सकता है, जो भावनात्मक, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से उन्हें प्रभावित करता है। इसके बाद बच्चे अकेलापन महसूस करने लगते हैं, उदास और चिंतित रहने लगते हैं, उनमें गुस्सा और असुरक्षा की भावना बढ़ जाती है, सामाजिक रूप से लोगों से वह घुलने-मिलने कठिनाई महसूस करने लगते हैं। घर, परिवार और दोस्तों से मिलटे समय असुरक्षा की भावना महसूस करने लगते हैं।

माता -पिता आपका बंटी उपन्यास पढ़ें

माता-पिता के तलाक के बाद उनके छोटे बच्चों पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है, इसके लिए पेरेंट्स के लिए जरूरी है अलग होने या तलाक लेने से पहले उन्हें हिंदी का एक उपन्यास जरूर पढ़ना चाहिए। जिससे वह उस त्रासदी को समझ सके जिससे माता-पिता के अलगाव के उनके बच्चे गुजर रहे होते हैं। यह उपन्यास है “आपका बंटी”, जिसके लिखा हिंदी की नई कहानी मूवमेंट की सुप्रसिद्ध कथाकार मन्नू भंडारी ने। इसकी पृष्ठभूमि 70 के दशक के भारत की कहानी है, पहली बार इसका प्रकाशन धर्मयुग पत्रिका में धारावाहिक रूप से हुआ था, बाद में इसे किताब के रूप में प्रकाशित किया गया, अब तक इसके दर्जनों संस्करण आ चुके होंगे, लेकिन फिर भी इसकी कहानी आज भी प्रासंगिक है। लेखिका ने बंटी को उन तमाम बच्चों का प्रतिनिधि बनाया है, जो अक्सर माता-पिता के टूटते रिश्तों के बीच बेवजह पिसते रहते हैं।

आपका बंटी का सारांश

“आपका बंटी” छोटी और सरल सी कहानी है, बंटी नाम के एक बच्चे की जिसके माता -पिता अलग रहते हैं, वह पूरी कहानी में अपूर्ण रहता है। बंटी अपने माँ शकुन के साथ रहता है, उसकी माँ कॉलेज में प्रोफेसर रहती है। लेकिन उसके पिता अजय उसकी माँ से अलग रहते हैं और दूसरी शादी भी कर लेते हैं और उसके दूसरी पत्नी से उसे एक बेटा होता है। दरसल शकुन भी दूसरी शादी करने का फैसला करती है, और एक विधुर डॉक्टर के साथ शादी कर लेती है, जिसके दो बच्चे रहते हैं, बंटी कभी अपने पापा के साथ की और कभी मम्मी के साथ की तलाश रहती है उसे, लेकिन उसकी तलाश कभी भी पूरी नहीं होती है। और कहानी के अंत में वह हॉस्टल भेज दिया जाता है, क्योंकि ना वह अपनी नई माँ से और ना ही नए पिता से या भाई-बहनों से कोई जुड़ाव महसूस कर पाता है, उसकी माँ शकुन अपने बेटे को समझती तो है, पर दूसरे विवाह के बाद वह भी दायरों में सीमित हो जाती है और भारी मन और छटपटाहट से अपने बेटे का यह हाल देखती रहती है पर कुछ भी कर नहीं सकती है। कहानी की शुरुआत का चंचल और नटखट बंटी कहानी के अंत में एक दम शांत और चुप हो जाता है, यही इस कहानी का सार है।

आपका बंटी की मर्मस्पर्शी कहानी

हालांकि कहानी पढ़ते हुए लगता है कहानी बंटी के साथ-साथ उसकी माँ पर भी केंद्रित है, लेकिन कहानी के अंत को पढ़कर आप दावे से कह सकते हैं कि बात बंटी की ही हो रही है, आप हर पैराग्राफ़ को पढ़कर विचारों में खो जाएंगे, कहानी के उत्तरार्ध में उठने वाले विचार तो ज्यादातर मर्मस्पर्शी होते हैं। कहानी में अगर कोई बेगुनाह है तो बंटी ही, लेकिन सबसे बड़ी सजा वही पा रहा है। कहानी को पढ़कर आप बंटी को प्यार और दुलार देना चाहेंगे, उसके माता-पिता को फटकार देना चाहेंगे, अब सोचिए जब एक उपन्यास इतना मार्मिक दृश्य खींचता है, तो ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता में अलगाव हो रहा है, या जो उस त्रासदी से गुजरते होंगे उनकी क्या स्थिति होती होगी।

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