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दुर्घटना में हाथ खोने के बाद लगातार दो पैरालंपिक पदक जीतने वाले Nishad Kumar की पूरी कहानी

दुर्घटना में हाथ खोने के बाद लगातार दो पैरालंपिक पदक जीतने वाले Nishad Kumar की पूरी कहानी

दुर्घटना में हाथ खोने के बाद लगातार दो पैरालंपिक पदक जीतने वाले Nishad Kumar की पूरी कहानी

Nishad Kumar ने टोक्यो पैरालिंपिक में पुरुषों के हाई जम्प टी47 स्पर्धा में रजत पदक जीता और अपनी सफलता को दोहराया। बचपन में ही अपना दाहिना हाथ खो देने के बावजूद उनके दृढ़ संकल्प ने उन्हें एथलेटिक्स में सफलता दिलाई।

Paralympics 2024 में भारत के निशाद कुमार ने पुरुषों की ऊंची कूद टी47 स्पर्धा में रजत पदक जीतकर अपनी रैंकिंग में सुधार किया। तीन साल पहले टोक्यो पैरालंपिक में भी उन्होंने रजत पदक जीता था। 24 वर्षीय निषाद ने इस सीजन में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 2.04 मीटर की छलांग लगाई, लेकिन अमेरिका के रॉडरिक टाउनसेंड ने 2.12 मीटर की छलांग लगाकर स्वर्ण पदक हासिल किया।

निषाद के प्रभावशाली प्रदर्शन से पुरुषों की ऊंची कूद टी47 स्पर्धा में 11 खिलाड़ियों का दबदबा रहा। हालांकि, टाउनसेंड ने अपने सीजन के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ स्वर्ण पदक हासिल किया। 2.08 मीटर की ऊंचाई को पार करने के अपने तीसरे प्रयास में असफल रहने के बावजूद, निशाद ने टाउनसेंड के साथ एक गर्मजोशी भरा पल साझा किया, जिसने दोनों प्रतियोगियों के चेहरे पर मुस्कान ला दी।

कौन हैं निषाद कुमार?

3 अक्टूबर, 1999 को हिमाचल प्रदेश के ऊना में जन्मे निषाद कुमार को जीवन के शुरुआत में ही एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। मात्र छह वर्ष की आयु में, वे घास काटने वाली मशीन के साथ हुए एक दुर्घटना में अपना दाहिना हाथ खो बैठे। इस जीवन बदल देने वाली घटना के बावजूद, निषाद का उत्साह और दृढ़ संकल्प अटूट रहा। अपनी माता से प्रेरित होकर, जो राज्य स्तर की वॉलीबॉल खिलाड़ी और डिस्कस थ्रोअर थीं, निषाद का खेलों के प्रति जुनून और भी प्रबल हो गया।

एथलेटिक्स में अपना रास्ता खोजना

निषाद की खेलों में यात्रा कुश्ती से शुरू हुई, लेकिन जल्द ही उन्हें एथलेटिक्स में अपनी असली पहचान मिल गई, शुरुआत में उन्होंने भाला फेंक के साथ प्रयोग किया और फिर ऊंची कूद खेलना शुरू हो गया। उनकी एथलेटिक प्रतिभा ने जल्द ही कोचों का ध्यान आकर्षित किया और 2017 तक, उन्हें पेशेवर प्रशिक्षण मिल रहा था। उसी वर्ष निषाद ने एशियाई युवा पैरा खेलों में अपना अंतरराष्ट्रीय पदार्पण किया, जहाँ उन्होंने स्वर्ण पदक जीता, जिससे ऊंची कूद में उनके सफल करियर की शुरुआत हुई।

शिक्षा और एथलेटिक उपलब्धियाँ

निषाद की खेल और शिक्षा दोनों के प्रति प्रतिबद्धता उनकी शैक्षिक पृष्ठभूमि से स्पष्ट है। उन्होंने चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज में पढ़ाई की, फिर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय और लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में अपनी शिक्षा जारी रखी, जहाँ उन्होंने शारीरिक शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया। अपने खेल के प्रति उनके समर्पण ने उन्हें जल्द ही बड़ी स्तर पर सफलता दिलाई। 2019 में, उन्होंने विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कांस्य पदक और दुबई ग्रैंड प्रिक्स में स्वर्ण पदक जीता, जिससे अंतरराष्ट्रीय मंच पर उनके आगमन का संकेत मिला।

रचा इतिहास : टोक्यो से पेरिस तक

निषाद का करियर टोक्यो पैरालिंपिक में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंचा, जहां उन्होंने पुरुषों की ऊंची कूद टी47 स्पर्धा में रजत पदक जीता और अब 4 साल बाद उन्होंने पेरिस पैरालिंपिक में पुरुषों की ऊंची कूद टी47 स्पर्धा में एक और रजत पदक जीता। निषाद के रजत पदक ने न केवल उन्हें व्यक्तिगत गौरव दिलाया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय पैरा-एथलेटिक्स क्षेत्र में भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा में भी इजाफा किया।

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