About The Film ‘Teen Devian’ In Hindi: 1965 में एक बड़ी ही खूबसूरत सी फिल्म हिंदी सिनेमा में प्रदर्शित हुई थी तीन देवियाँ। यह फिल्म ब्रिटिश लेखक डी एच लारेंस के लेखन से प्रेरित है। फिल्म में देव आनंद ने मुख्य भूमिका निभाई है। जबकि उनके अपोजिट सिमी ग्रेवाल, कल्पना और नंदा थीं। यह फिल्म एक नायक की कश्मकश को बड़े खूबसूरती से बयां करती है।
फिल्म “तीन देवियां” हमारी नज़र से
1 जनवरी सन 1965 में एक ऐसी फिल्म रुपहले पर्दे पर जगमगाई जो एक नायक के साथ , एक दो नहीं बल्कि तीन अभिनेत्रियों की याद दिलाती है। इसका सबसे पहला गाना है-ऐसे तो न देखो…..,जो अभिनेत्री नंदा के साथ है।
दूसरा गाना है-ऐ यार मेरी तुम भी हो ग़ज़ब…, जो फिल्म में तारिका की भूमिका में कल्पना को दुनिया की नज़रों से बचाने के लिए एक कवि की कल्पना है। लेकिन इतनी खूबसूरत है कि ये नायिका कल्पना के दिल को नायक के लिए धड़कने पर मजबूर कर देती है और दुनिया जिस कल्पना के पीछे भागती है वो नायक के पीछे भागने लगती है। तीसरा गाना है-कहीं बेख्याल होकर …, जिसे सुनकर नायिकाओं सिमी और नंदा के दिल में नायक की संगिनी बनने के एक जैसे अरमान मचल रहे हैं।
चौथा गीत हैं-ख्वाब हो या तुम कोई हक़ीक़त कौन हो तुम बतलाओ देर से कितनी दूर खड़ी हो और क़रीब आ जाओ …, इस गाने में भी सिमी और कल्पना यानी दो नायिकाएं आमने सामने खड़ी हैं ये सोचते हुए कि नायक उन्हें ही क़रीब बुला रहा है ख़ैर फिल्म के आख़िर तक नायक भी अपने दिल के ये इशारे नहीं समझ पाता है और बड़ी मुश्किल से ये गुत्थी सुलझती है कि आख़िर उसे सच्चा प्यार किससे है तो नायिकाओं का कश्मकश में पड़ना तो लाज़मी है।
पांचवां गाना है-लिखा है तेरी आंखों में किसका अफसाना …, जो नायिका नंदा और नायक देव की एक दूसरे के दिलों के हाल जानने की कोशिश है। छठवां हैं – उफ़ कितनी ठंडी है ये रुत …, जो एक कवि के मासूम दिल का इम्तहान है जो सिर्फ इसलिए अपनी सच्ची मोहब्बत को नहीं तलाश पा रहा है कि वो किसी का दिल नहीं तोड़ना चाहता।
फिल्म तीन देवियां की स्टारकास्ट | Starcast of the movie Teen Deviyan
बेशक देव के लिए अपने ही दिल के इशारे समझना मुश्किल रहा हो लेकिन हमें उम्मीद है आप हमारा इशारा समझ गए होंगे कि हम बात कर रहे हैं फिल्म तीन देवियां की। जिसमें अभिनेता हैं देव आनंद और अभिनेत्री हैं नंदा, सिमी ग्रेवाल और कल्पना मोहन जिनका फिल्म के पात्रों में भी क़रीब-क़रीब यही नाम है। इनके अलावा बेमिसाल अदाकारी का जलवा बिखेरा है आई एस जौहर ने।
इस फिल्म की एक और ख़ासियत है कि शुरुआत में बतौर सूत्रधार रेडियो की जानी मानी दिलकश आवाज़ के मालिक अमीन सयानी जी हमारा साथ देते हैं ।तीन देवियां फिल्म के निर्माता हैं अमरजीत, निर्देशन किया है अमरजीत और देव आनंद ने और फिल्म के लेखक हैं वृजेंद्र गौड़। फिल्म के ज़्यादा हिस्से ब्लैक एंड व्हाइट में फिल्माए गए हैं लेकिन कुछ रंगीन दृश्य भी हैं।
फिल्म तीन देवियां की कहानी | Story of the movie Teen Deviyan
फ़िल्म एक कवि की कहानी कहती है। जिसे तीन सशक्त महिलाएं प्यार करती हैं और अपना बनाना चाहती हैं, क्योंकि वो बहुत अच्छा इंसान है जो उनका ख्याल भी रख लेगा। ऐसे में उनके प्यार के बदले उसे भी तीनों से लगाव तो हो जाता है। लेकिन वो उसे प्यार का नाम नहीं दे पाता, ये फैसला नहीं कर पाता कि तीनों में से उसे किस से प्यार है, वो किसके साथ खुश रहेगा या कौन है जो सिवाए उसकी ख़ुशी के और कुछ नहीं चाहती। नायक की ये कश्मकश हमें फिल्म के आख़िर तक बांधे रखती है और नायक को उलझाए रखती है। पर इस उलझन को सुलझाने के लिए वो तीनों से शादी तो नहीं कर सकता, इसलिए पहुंचता है सम्मोहन कक्ष जहां से खुलते हैं उसके भविष्य के राज़। पहली दफा वो ख्यालों में राधा रानी यानी सिमी से शादी करता है और देखता है कि वो अपनी सोशल लाइफ में इतना बिज़ी है कि देव के लिए उसके पास टाइम ही नहीं है। दूसरा पर्दा उठता है या ग्लोब की धुंध छटती है तो वो फिल्म स्टार कल्पना की शूटिंग में उसके साथ बैठा है पर उसके किसी सीन से उसे किसी आपत्ति का अधिकार नहीं है क्योंकि वो उसका पति कम बल्कि एक मूक दर्शक ज़्यादा है। आख़री पर्दा उठता है तो वो नंदा को ढूंढता है लेकिन वो उसे छोड़ के चली जाती है ये कहकर कि वो जिसके साथ खुश है उसे चुन ले, वो उसके रास्ते में नहीं आएगी यहां देव का सम्मोहन टूटता है। और वो नंदा की तलाश में निकल पड़ता है, लेकिन उसे उसका लेटर मिलता जिसमें वही लिखा था जो उसने अपने ख्यालों में सोचा था और वो समझ जाता है कि यही उसके सपनों की रानी है। नंदा भी कहीं नहीं जाती बल्कि दूर से उसकी तड़प को महसूस कर रही होती है और उसके बुलाने पे पास आ जाती है। ये है “तीन देवियां” फिल्म का खुशनुमा अंत।
एक नायक के कश्मकश की खूबसूरत कहानी है तीन देवियां
फिल्म तीन देवियां एक उलझे हुए नायक कश्मकश की कहानी को बड़े खूबसूरती से बयां करती है। फिल्म की कहानी लेखक डीएच लॉरेंस की रचनाओं से प्रेरित है। बेहद दिलनशींं नग़्में लिखे हैं मजरूह सुल्तानपुरी ने जिन्हें दिलकश धुनों में पिरोया है एसडी बर्मन ने। यहां हम आपको ये भी बताते चलें कि उनके बेटे संगीतकार राहुल देव बर्मन ने “ओह बॉय एंड थ्री गर्ल्स” टाइटल से इस फ़िल्म का अंग्रेज़ी संस्करण भी तैयार किया था, पर ये रिलीज़ नहीं हो पाया।
इतना सब जानने के बाद अगर आपके दिल में भी उमड़ रहा है, फिल्म से जुड़ा जज़्बातों का तूफान, तो आप भी या तो दोबारा देखकर याद ताज़ा करिए या पहली बार फिल्म “तीन देवियां “देखिए और कुछ नए एहसास जगाइए।