मेल ईगो पर आधारित वास्तविक जीवन को बताती है फिल्म ‘अभिमान’

Abhimaan Movie Story In Hindi | न्याज़िया बेगम: आज हम बात करते हैं ऐसी फिल्म की जिसकी कहानी ने कई अटकलें लगाईं इस बात को लेकर की ये दो ऐसे पति पत्नी की सच्ची कहानी पर आधारित है जो कलाकार हैं। जिसमें पहला नाम आया हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत उस्तादों, सितार वादक रवि शंकर और सुरबहार वादक अन्नपूर्णा देवी का। हालांकि लेखक राजू भारतन का कहना था कि मुखर्जी ने फिल्म की कहानी गायक किशोर कुमार और उनकी पहली पत्नी रूमा गुहा ठाकुरता के जीवन पर आधारित है। इसमें 1954 की फिल्म ए स्टार इज़ बॉर्न और उत्तम कुमार व सुप्रिया देवी अभिनीत 1970 की बंगाली फिल्म बिलम्बिता लोय का भी थोड़ा प्रभाव माना जाता है।

‘अभिमान’ फिल्म की कहानी

जी हां आप हमारा इशारा समझ गए होंगे ये फिल्म है “अभिमान” जिसमें नायक सुबीर यानी अमिताभ बच्चन बहुत मशहूर गायक है और उसकी शादी गांव की सीधी सादी उमा यानी जय भादुड़ी से तय होती है। जिसे इत्तेफाक से सुबीर गाते हुए सुन लेता है और बस उसकी मीठी तान में खो जाता है इसके बाद दोनों की शादी हो जाती है। और सुबीर अपनी नई दुल्हन के साथ मुंबई लौट आता है, जहां उसकी शादी की ख़ुशी में पार्टी रखी जाती है और उमा से भी गाने की फरमाइश की जाती है। जिस पर दोनों गीत तेरी बिंदिया रे आय हाय तेरी बिंदिया रे गाते हैं। जिससे आए हुए मेहमानों को भी ये खबर लग जाती है कि सुबीर की पत्नी न केवल अच्छा गाती है बल्कि सुबीर को टक्कर भी दे सकती है। सुबीर भी उमा की हौसला अफज़ाई करता है और उसे अपने साथ गाने गाने के लिए तैयार कर लेता है। पर जब उमा, सुबीर की तरह स्टेज पर गाना गाना शुरू करती है तो पक्के और मधुर सुरों की वजह से उसकी मांग सुबीर से कहीं ज़्यादा बढ़ जाती है।

इसी बीच उमा उम्मीद से होती है और दोनों गाते हैं तेरे मेरे मिलन की ये रैना.. इसी तरह गाते हुए उमा सफलता के शिखर पर पहुंच जाती है और वहीं सुबीर का करियर लड़खड़ाने लगता है। अब कहीं कहीं सुबीर के मन में ईर्ष्या और जलन पैदा हो जाती है जिससे वो उमा से दूरी बना लेता है, रूठने लगता है, जिसके लिए उमा गीत गाती है- पिया बिना, पिया बिना, पिया बिना ….,
यहां तक कि उसकी रातें भी नशे में कहीं और बीतने लगती हैं। गाना भी छोड़ देता है और वो उमा की तरफ से लापरवाह हो जाता है, वो भी जब उसे उसके साथ की बहुत जरूरत थ। इस ग़म ने उसके शरीर को कमज़ोर कर दिया और उसका बच्चा दुनिया में आने से पहले ही उससे दूर चला गया।

इस सदमे से उमा अपनी सुध बुध खो बैठती है घर वाले उसे गांव ले जाते हैं। अब वो संगीत के स्वरों, तारों से भी डरने लगती है और एक दिन इस बेजान हो चुकी उमा का इलाज करने वाले डॉक्टर भी जवाब दे देते हैं। पर पत्थर की मूरत बन चुकी उमा के आंसू नहीं गिरते। सुबीर, उमा की इस हालत से अंजान रहता है घर वाले उसे बुलाते हैं उमा को ले जाकर शहर के बड़े डॉक्टर को दिखाने के लिए, सुबीर आता है और उमा को देखकर यक़ीन नहीं कर पाता कि ये वही उमा है जो पूरे गांव में चहकती फिरती थी। सुबीर उससे माफी मांगता है, लेकिन फिर भी वो नहीं रोती चुपचाप सुन लेती है, उसके साथ चली भी आती है सुबीर उसे डॉक्टर को दिखाता है उसकी खुशियां उसे वापस देने की कोशिश करता है। डॉक्टर कहते हैं- उसका हंसाना या रोना बहुत ज़रूरी है, तभी वो इस सदमे से निकलेगी, तो सुबीर कई पुराने यादें ताज़ा करता है। पर उमा की हालत ज़रा नहीं सुधरती आख़िर में सुबीर के चाचा जी सलाह देते हैं, कि तुम दोनों के अंदर संगीत का गुण है, तुम दोनों को मिलाने वाला भी संगीत ही है, इसलिए तुम दोनों गाना मत छोड़ो, संगीत के सुरों में तुम दोनों ने जो सपने सजाए थे, उसके टूटने की टीस तुम दोनों को महसूस हो रही है, पर इस दुख को सांझा नहीं कर पा रहे हो, तो वही सुर दोबारा पिरोने की कोशिश करो गीत के ज़रिए।

बस चाचा जी ने उनका प्रोग्राम रखा। सुबीर स्टेज पर खड़ा हुआ और गाना शुरू किया- “तेरे मेरे मिलन की ये रैना” जिसे सुनकर स्टेज के पीछे, मगर सुबीर से कुछ दूर बगल में बैठी उमा के आंसू बरसने लगे, यादों के झरोखे उसकी आंखों में परत दर परत खुलने लगे और सुबीर उसका सहारा बनकर उसका हांथ थामे स्टेज पर ले आया। फिर उमा के लब धीरे से खुले और उसने आकर गाते हुए- कहां नन्हा से गुल खिलेगा, अंगना सूनी बइयां सजेगी सजना और सुबीर ने उसको थाँमते हुए गाया- चंदा खेले जैसे बादल में खेलेगा वो तेरे आंचल में, चंदनिया गुन गुनाएगी, तभी तो चंचल है तेरे नैना देखना तेरे मेरे मिलन की ये रैना …” एक बार फिर दोनों पति पत्नी नए जीवन की शुरुआत करते हुए सितारों की तरह चमकते हैं, और लोग तालियां बजाते हुए उनकी हौसला अफज़ाई करते हैं। इन भीगी पलकें लिए दर्शकों में बिंदु यानी सुबीर की वो दोस्त भी शामिल है, जो सुबीर पर जान छिड़कती थी और उमा से खफा होने के बाद सुबीर उसकी आग़ोश में आया भी था। लेकिन वो उसे उमा के पास जाने की सलाह देती रहती है उसे समझाती रहती है कि तुम दोनों ही एक दूसरे के लिए बने हो। फिल्म का ये आख़री पड़ाव, ये सीन दो मनुष्यों का ऐसा मिलन था जिसने उन्हें पूर्ण रूप से कलाकार बना दिया अहंकार, अभिमान को तोड़ दिया।

फिल्म की कास्ट और क्रू

अभिमान फिल्म का निर्देशन ऋषिकेश मुखर्जी ने किया है। अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, असरानी, ​​बिंदु और डेविड ने इसे अपनी बेहतरीन अदाकारी से सजाया है। लेकिन जया बच्चन ने अपने अभिनय से इतिहास रचते हुए, अभिमान के लिए फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीता है। सबसे अच्छी सह नायिका के लिए बिन्दु को मनोनीत किया गया तो वहीं सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के रूप में असरानी को मनोनीत किया गया। ये फ़िल्म बिंदु के फिल्मी करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई, क्योंकि उन्होंने पहली बार एक सहानुभूतिपूर्ण किरदार निभाया था। इससे पहले, उन्हें वैम्प / कैबरे डांसर की भूमिका निभाने के लिए जाना जाता था। जैसे कि अमिताभ बच्चन को स्टार बनाने वाली हिट फिल्म ज़ंजीर जो (1973) में आई।

अभिमान का सुपरहिट संगीत

ये फिल्म शायद अपने गानों के लिए सबसे ज़्यादा याद की जाती है, जिन्हें मजरूह सुल्तान पुरी ने लिखा और एसडी बर्मन ने संगीत बद्ध किया है। पार्श्व गायक रहे किशोर कुमार, लता मंगेशकर, मोहम्मद रफी, मनहर उधास। जानी मानी लोकप्रिय गायिका अनुराधा पौडवाल ने इस फ़िल्म से अपनी प्ले बैक सिंगिंग शुरू की, जहाँ उन्होंने जया भादुड़ी के लिए एक संस्कृत श्लोक गाया था। एसडी बर्मन को सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। “तेरे मेरे मिलन की ये रैना” और “मीत ना मिला रे मन का” गाने बिनाका गीतमाला की 1973 की वार्षिक सूची में क्रमशः 16वें और 23वें स्थान पर सूचीबद्ध थे।

अभिमान फिल्म के और सदाबहार गीत हैं

“तेरी बिंदिया रे “,”पिया बिना पिया बिना”,”अब तो है तुमसे हर ख़ुशी अपनी”,”लूटे कोई मन का नगर”और “नदिया किनारे”। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन एक सिंगर हैं जिनके गानों लिए लिए तीन गायकों ने आवाज़ दी थी, मनहर उधास ने। “लूटे कोई मन का नगर” का डेमो रिकॉर्ड किया था और इसे मुकेश द्वारा गाया जाना था। हालांकि मुकेश ने इनकार कर दिया क्योंकि उन्हें लगा कि डेमो अच्छा लग रहा है और उधास को मौका दिया जाना चाहिए।

बॉक्स ऑफ़िस पर बड़ी हिट रही ‘अभिमान’

ये फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर बड़ी हिट रही और अमिताभ बच्चन के करियर की शुरुआती हिट फ़िल्मों में से एक है।
ये फिल्म अमीया यानी (अमिताभ + जया) प्रोडक्शन के तहत बनाई गई थी, ये फिल्म अपनी पहली स्क्रीनिंग के लगभग 50 साल बाद 15 दिसंबर 2022 को 28वें कोलकाता अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में उद्घाटन फिल्म के रूप में प्रदर्शित की गई। तो चलिए आज फिर देख लीजिए फिल्म “अभिमान” जिसमें उमड़ रहा है जज़्बातों का सैलाब।

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