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ऑपरेशन सिंदूर पर भारत का पक्ष रखने केंद्र सभी दलों के सांसदों को भेजेगा विदेश

operetion sindoor

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Operation Sindoor: ये प्रतिनिधिमंडल 22 मई से 10 दिनों तक विभिन्न देशों में रहेंगे, जहां वे वहां के नेताओं, नीति-निर्माताओं और मीडिया को पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी देंगे। प्रत्येक समूह के साथ विदेश मंत्रालय का एक अधिकारी भी होगा, जो कूटनीतिक समन्वय सुनिश्चित करेगा।

Operation Sindoor: केंद्र सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत की आतंकवाद विरोधी कार्रवाई को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सरकार सभी दलों के सांसदों को आठ समूहों में विभाजित कर विदेश भेजने की योजना बना रही है। प्रत्येक समूह में 5-6 सांसद शामिल होंगे, जो अमेरिका, ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, कतर और यूएई जैसे देशों में भारत का पक्ष रखेंगे। सूत्रों के अनुसार, इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस सांसद शशि थरूर और एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी के शामिल होने की संभावना है।

ऑपरेशन सिंदूर का वैश्विक संदेश

ऑपरेशन सिंदूर, जिसे 6-7 मई 2025 की रात भारतीय सशस्त्र बलों ने अंजाम दिया, पहलगाम आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के शिविर शामिल थे। ऑपरेशन की सफलता ने न केवल भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को रेखांकित किया, बल्कि राजनीतिक एकजुटता को भी प्रदर्शित किया, क्योंकि सभी दलों ने सर्वदलीय बैठकों में सरकार का समर्थन किया।

अब सरकार इस कार्रवाई की कहानी को वैश्विक समुदाय तक पहुंचाने के लिए सांसदों को विदेश भेज रही है। ये प्रतिनिधिमंडल 22 मई से 10 दिनों तक विभिन्न देशों में रहेंगे, जहां वे वहां के नेताओं, नीति-निर्माताओं और मीडिया को पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी देंगे। प्रत्येक समूह के साथ विदेश मंत्रालय का एक अधिकारी भी होगा, जो कूटनीतिक समन्वय सुनिश्चित करेगा।

थरूर और ओवैसी की संभावित भागीदारी

सूत्रों के मुताबिक, शशि थरूर और असदुद्दीन ओवैसी जैसे प्रमुख नेताओं को इन प्रतिनिधिमंडलों में शामिल किया जा सकता है। थरूर, जो अपनी उत्कृष्ट वक्तृत्व कला और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करने के अनुभव के लिए जाने जाते हैं, इस मिशन में अहम भूमिका निभा सकते हैं। वहीं, ओवैसी, जो आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख के लिए जाने जाते हैं, वैश्विक मंच पर भारत की बात को प्रभावी ढंग से रख सकते हैं।

हालांकि, कुछ एक्स पोस्ट्स में हल्के-फुल्के अंदाज में कहा गया है कि “थरूर अंग्रेजी में बोलेंगे, ओवैसी उर्दू में, और विदेश मंत्रालय हेडफोन लगाएगा,” लेकिन यह मजाक भारत की विविधता और एकजुटता को दर्शाता है। इसके अलावा, अन्य संभावित नेताओं में सलमान खुर्शीद और बीजेपी के कुछ वरिष्ठ सांसदों के नाम भी चर्चा में हैं।

भारत की रणनीति और वैश्विक कूटनीति

यह कदम भारत की कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य ऑपरेशन सिंदूर की वैधता और भारत की आतंकवाद विरोधी प्रतिबद्धता को विश्व समुदाय के सामने स्पष्ट करना है। सरकार का मानना है कि यह ऑपरेशन न केवल आतंकवाद के खिलाफ एक सख्त कार्रवाई थी, बल्कि यह भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए एक आवश्यक कदम भी था।

सांसदों के दौरे का उद्देश्य न केवल ऑपरेशन की सफलता को उजागर करना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चर्चा का विषय बने। विदेश मंत्रालय के अधिकारियों की मौजूदगी यह सुनिश्चित करेगी कि भारत का संदेश एकजुट और प्रभावी ढंग से प्रस्तुत हो।

राजनीतिक एकजुटता का प्रदर्शन

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत में अभूतपूर्व राजनीतिक एकजुटता देखने को मिली। सर्वदलीय बैठकों में कांग्रेस, टीएमसी, सपा, आप, और यहां तक कि एआईएमआईएम जैसे दलों ने सरकार का समर्थन किया। यह एकजुटता अब वैश्विक मंच पर भी दिखाई देगी, क्योंकि विभिन्न दलों के सांसद एक साथ भारत का पक्ष रखेंगे। यह कदम भारत की लोकतांत्रिक ताकत और आतंकवाद के खिलाफ साझा संकल्प को रेखांकित करता है।

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