प्यार करने का सबसे अच्छा तरीका

मंथन। आपको क्या लगता है अपनी मोहब्बत किस तरीके से हम आसानी से सामने वाले तक पहुंचा सकते हैं या फिर बिना जताए भी प्रेम कर सकते हैं ! नहीं याद आ रहा हो तो ज़रा ग़ौर करिए किसकी मोहब्बत हमें सबसे प्यारी होती है जिससे प्यार के बदले प्यार मिलता है या फिर जिससे प्यार के बदले इज़्ज़त भी मिलती है ! हां ,शायद आपकी नज़र में भी इज़्ज़त की अहमियत ज़्यादा है , क्योंकि अगर कोई हमारी इज़्ज़त करता है हमें सम्मान देता है तो हम उसकी बड़ी से बड़ी भूल माफ कर देते हैं लेकिन कोई जब हमें इज़्ज़त नहीं देता तो हम उसकी छोटी ग़लती भी आसानी से माफ नहीं कर पाते,जिसकी वजह से धीरे – धीरे प्यार भी ख़त्म हो जाता है।

इज़्ज़त देने से शुरू हुआ प्यार का सिलसिला मज़बूत होता है

अगर हर रिश्ता एक दूसरे को सम्मान देने के साथ शुरू हो तो सबको अपने हिस्से की खुशी पाने के लिए ज़्यादा जद्दोजहद न करनी पड़े , शायद इज़्ज़त के साथ अगर प्यार भी मिले तो ज़िंदगी में शिकवे शिकायतें कम हो जाती हैं, जो भी बात होती है वो भी लेहाज़ के दायरे में होती है इसलिए तल्खियां कम होती हैं और ज़रा कोई अगर तेज़ आवाज़ में बात कर भी ले ,तो दूसरा उसे आसानी से संभालते हुए , समझाता है जिसमें अपनापन झलकता है और बिगड़ी बात जल्दी बन भी जाती है।

प्रेम में सम्मान मिल जाए तो वो सार्थक होती हैं

किसी का सम्मान करने का मतलब क्या है,क्या उसमें उम्र का दायरा मायने रखता है ,नहीं न!क्योंकि हम जिसे चाहते हैं भले ही वो हमसे छोटा हो,लेकिन हमारे दिल में उसके छोटे से मासूम दिल से प्यार और इज़्ज़त करने की चाहत होती है,
उसके खुशी और ग़म का हमें पूरा एहसास होता है, उसके जज़्बातों की क़द्र होती है हमें, हम जानते हैं कि वो हमारे तू, कहने से खुश होगा कि ,आप या तुम ,तो फिर हमारे लिए उसकी मर्ज़ी ही सबसे ज़्यादा मायने रखती है और हम उसे उसी तरह बुलाते हैं जिसमें उसे अपनापन और प्यार महसूस होता है और वो अपना हमें हर हाल में सबसे प्यारा लगता है, उस पर गर्व होता है हमें ,और शायद ,प्यार की सही राह यही है, जो कठिन है पर प्यार करने वाले इस पर मुस्कुराते हुए चलते हैं ग़म ,उदासी ,शिकायत तो उनके चेहरे पे आती ही नहीं। सोचिएगा इस बारे में फिर मिलेंगे आत्म मंथन की अगली कड़ी में धन्यवाद

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