Site icon SHABD SANCHI

रिमझिम मानसून में चाय के शेयर दिला रहे ताजगी का अहसास! इनके बढ़े दाम

बॉम्बे बर्मा ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड, मैकलियोड रसेल, जयश्री टी एंड इंडस्ट्रीज और रॉसेल इंडिया जैसे प्रमुख चाय उत्पादकों के शेयरों में 10% से अधिक की वृद्धि हुई

चाय उत्पादक कंपनियों के शेयरों (TEA SHARE) में बढ़त देखी जा रही है। बॉम्बे बर्मा ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड, मैकलियोड रसेल, जयश्री टी एंड इंडस्ट्रीज और रॉसेल इंडिया जैसे प्रमुख चाय उत्पादकों के शेयरों में आज 10% से अधिक की वृद्धि हुई। दरअसल, असम और अन्य चाय उत्पादक क्षेत्र फसल के मौसम के दौरान बाढ़ और गर्मी की चपेट में आ गए, जिसके परिणामस्वरूप उत्पादन में गिरावट आई।

चाय उत्पादक कंपनियों के शेयरों में वृद्धि

इसके कारण चाय की कीमतें और सभी चाय उत्पादक कंपनियों के शेयरों में वृद्धि हुई। इससे भारत के संघर्षरत चाय उद्योग को सहायता मिल सकती है। चाय उत्पादक 10 वर्षों से बढ़ती उत्पादन लागत और चाय की कीमतों में मामूली बढ़ोतरी से जूझ रहे हैं। वरिष्ठ चाय उत्पादक व भारतीय चाय बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष प्रभात बेज़बोरुआ ने इसको लेकर बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि “मानसून मौसम की घटनाएं चाय उत्पादन को नुकसान पहुंचा रही हैं। मई में अत्यधिक गर्मी और उसके बाद असम में बाढ़ के कारण उत्पादन में गिरावट आई है। केंद्र सरकार के 20 कीटनाशकों पर प्रतिबंध का असर भी उत्पादन पर पड़ा है।

टी कंपनी के शेयरों में भी तेजी

बॉम्बे बर्मा ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन के शेयर 16% से अधिक की बढ़त के साथ 2,344 रुपये पर बंद हुए। इस बीच, मैकलियोड रसेल के शेयर 10% बढ़कर 32.24 रुपये पर और रसेल इंडिया के शेयर 9.04% की बढ़त के साथ 624 रुपये पर बंद हुए। इस बीच, जयश्री टी एंड इंडस्ट्रीज के शेयर 8.18% की तेजी के साथ 122 रुपये पर बंद हुए। जयश्री दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी चाय कंपनी है। इसके अलावा, बी एंड ए लिमिटेड, जेम्स वॉरेन, कैनको टी और टायरून टी कंपनी के शेयरों में भी तेजी आई। मई में भारत का चाय उत्पादन एक साल पहले से 30% से अधिक गिरकर 90.92 मिलियन या 9.09 करोड़ किलोग्राम हो गया। अत्यधिक गर्मी और कम बारिश के कारण पिछले एक दशक में यह इस महीने का सबसे निचला स्तर है।

139 करोड़ किलोग्राम चाय का उत्पादन

बेजबोरुआ ने कहा कि भारत ने 2023 में रिकॉर्ड 1.39 बिलियन यानी 139 करोड़ किलोग्राम चाय का उत्पादन किया, लेकिन 2024 में उत्पादन में लगभग 100 मिलियन यानी 10 करोड़ किलोग्राम की गिरावट आ सकती है। कोलकाता स्थित एक व्यापारी ने कहा कि उत्पादन में कमी के कारण कीमतें बढ़नी चाहिए। हालांकि, आर्थिक रूप से कमजोर और ऋणग्रस्त उत्पादकों को चरम उत्पादन महीनों के दौरान खरीदारों के साथ बातचीत करने में कठिनाई होती है।

Exit mobile version