Vande Bharat Train के पहिये बनाएगी Tata Steel? क्या है पूरा माज़रा जानें

Indian Railway News

Vande Bharat Train Wheel: वंदे भारत ट्रेन देश की शान है. जी हां आपको बता दें कि, इस ट्रेन को इंडियन रेल मिनिस्ट्री के मैकेनिकल इंजीनियरों ने देश में ही डेवलप किया है. लेकिन इसके पहिये अभी भी देश में पूरी तरह से नहीं बन पा रहे हैं. इसके लिए भारतीय रेल की निर्भरता विदेशी सप्लायरों पर है. इसके पहिये टाटा स्टील (Tata Steel) बना सकता है? यह सवाल पिछले दिनों कंपनी के एमडी एंड सीईओ से पूछा गया, इस पर उन्होंने कहा कि टाटा स्टील वंदे भारत ट्रेन के पहिये बना सकता है लेकिन कुछ वजह है, जिससे कंपनी इस दिशा में कदम नहीं बढ़ा रही है.

Tata Steel के एमडी ने क्या कहा

गौरतलब है की कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ टी.वी. नरेंद्रन ने बीते दिन कहीं दिए एक इंटरव्यू में कहा कि भारत का स्टील उद्योग, जिसमें उनकी कंपनी भी शामिल है, ट्रेन के व्हीलसेट (Wheelset) बना सकती है. यह प्रोडक्ट तो राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा महत्वपूर्ण उत्पाद है. इसके निर्माण में टाटा स्टील पूरी तरह से सक्षम है. लेकिन, उन्होंने यह भी चिंता जताई कि इस प्रोडक्ट का सिर्फ एक ही खरीदार है, Indian Railways, वह अपनी योजनाओं में कोई बदलाव करती है, तो ऐसे प्रोडक्ट का निर्माण करना आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं रह जाएगा.

उल्लेखनीय है कि ट्रेन के व्हीलसेट में दो पहिये (Wheel) और उसे बांधने वाला बीच का धुरा (Axle) शामिल होता है. वंदे भारत में लगने वाले पहिये फोर्ज स्टील के बने होते हैं.

बढ़ती जा रही है Vande Bharat Train की मांग

भारतीय रेल इस समय अपनी वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों के नेटवर्क को बढ़ाने की योजना बना रही है. ये ट्रेनें दिन की इंटरसिटी यात्राओं और रात की लंबी यात्राओं, दोनों के लिए चलाई जाएंगी. इसके अलावा, रेलवे यात्री और मालगाड़ियों के लिए कोच, इंजन और ट्रेनसेट का उत्पादन भी बढ़ाना चाहता है. इन सभी योजनाओं के लिए रेलवे पहियों की लगातार आपूर्ति बहुत ज़रूरी हो गई है.

वर्तमान में पहिये कहां से आते हैं

फिलहाल, भारत में ट्रेन के पहियों का घरेलू उत्पादन काफी कम है. इस समय रेलवे के बेंगलुरु स्थित व्हील एंड एक्सल प्लांट और स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) के दुर्गापुर स्टील प्लांट में सीमित संख्या में पहिये बनाये जाते हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इन प्लांट्स में साल भर में करीब 75,000 पहियों का उत्पादन होता है. लेकिन, 2026 तक भारतीय रेलवे को पहियों की मांग लगभग 2,00,000 तक पहुंचने का अनुमान है, क्योंकि वे सभी तरह की रोलिंग स्टॉक (ट्रेन के डिब्बे और इंजन) का उत्पादन बढ़ा रहे हैं.

चूंकि घरेलू उत्पादन मांग से बहुत कम है, इसलिए रेलवे को बड़े पैमाने पर चीन एवं कुछ अन्य देशों से पहियों का आयात करना पड़ता है. पहले, यूक्रेन भी पहियों का एक महत्वपूर्ण सप्लायर था, खासकर वंदे भारत ट्रेनों के लिए. लेकिन, रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वहां से आपूर्ति बंद हो गई, जिससे भारतीय रेलवे को दूसरे देशों की ओर देखना पड़ा.

व्यावसायिक संभावनाओं का सवाल

टीवी नरेंद्रन ने विस्तार से बताया, अक्सर हम जो नहीं बना रहे हैं, उसे इस बात से भ्रमित कर लेते हैं कि हम क्या नहीं बना सकते. देखिए, तकनीकी रूप से, भारत को जिस भी स्टील की ज़रूरत है, हम उसे बना सकते हैं. सवाल यह है: क्या इसके लिए कोई व्यावसायिक मामला है? हमने रेलवे पहियों पर भी विचार किया था. रेलवे पहियों के साथ समस्या यह है कि आपका केवल एक ग्राहक होता है. तो, अगर आप एक बड़ा निवेश करते हैं और ग्राहक अपनी योजनाओं में कुछ बदलाव करता है, तो आप उस निवेश का क्या करेंगे?

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