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फूलों की बात पर याद आती है तलत अज़ीज़ की गायी ग़ज़ल !

talat (1)

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Happy Birthday Talat Aziz:"फिर छिड़ी बात ,बात फूलों की" 'बाज़ार' फिल्म की ये ग़ज़ल उस लड़के की भी दास्ताँ सुनाती है जो एक क्रिकेटर था और जिसका परिवार बड़ा कला प्रेमी था इसलिए घर में आये दिन महफिलें सजती रहती थीं और इनमें जगजीत सिंह और जां निसार अख़्तर जैसे बड़े -बड़े फनकार शिरकत करते, जिसका असर उस क्रिकेटर पर यूँ हुआ कि जब भी उसके कानों में इन गुलूकारों और शायरों के तरन्नुम गूँजते तो उसका दिल उनकी रौ में बह जाता और वो गुनगुनाने लगता एक दिन उसके वालिद ने उनकी बेख्याली में चल रही इस गुनगुनाहट को सुन लिया फिर बोले सुनों बेटा तुम मौसिक़ी का हुनर क्यों नहीं हासिल करते ! तो उसने भी ऐसे ही कह दिया जी अब्बा सीखूंगा बस फिर क्या था उस दिन ही उसका तार्रुफ़ एक नये उस्ताद से हुआ,जी हाँ ये क्रिकेटर कोई और नहीं बल्कि ग़ज़ल गायक तलत अज़ीज़ थे और उनका मार्गदर्शन करने वाले ये गुरु थे उनके वालिद उर्दू लेखक और कवि अब्दुल अज़ीम खान जिनके घर तलत अज़ीज़ 11 नवंबर, 1956 को हैदराबाद में पैदा हुए।

क्या था टर्निंग पॉइंट :-

हालाँकि तलत के लिए ये एक टर्निंग पॉइंट था जब उन्हें क्रिकेट और म्यूज़िक में किसी एक को चुनना था फिर उन्होंने अपने दिल की बात सुनते हुए संगीत सीखने के लिए किराना घराना चुन लिया और उस्ताद समद खान और बाद में उस्ताद फैय्याज अहमद खान से भी मौसिक़ी की तालीम हासिल की। अपनी इस पहली कोशिश के बाद वो मेहँदी हसन के फैन हो गए और बस उन्हीं को दिन रात सुनने लगे और तब उन्हें अंदाज़ा लग गया कि उनकी फील्ड यही है इसी में वो खुश रह सकते हैं।

मुश्किलों में भी दिन काटे :-

1975 में जगजीत सिंह के कहने पर वो मुंबई आ गए पर यहाँ आने के बाद उन्होंने कई मुश्किलों का सामना किया बड़ी मुश्किलों में दिन गुज़ारे, जैसे-तैसे करके कुछ खा पी लेते थे और फिर एक दिन उनकी मुलाक़ात इक़बाल भाई से हुई जिन्होंने उन्हें पहली रिकॉर्डिंग दिलाई ,जो दूरदर्शन के लोकप्रिय कार्यक्रम 'आरोही' के लिए थी और जिसे सबने खूब पसंद किया और जल्द ही लोग उन्हें कार्यक्रमों में बुलाने लगे।

जगजीत सिंह ने किया प्रेज़ेंट :-

अपने करियर की शुरुआत में तलत मेंहदी हसन के शागिर्द भी बनें और दुनिया भर में उनके संगीत प्रोग्राम्स में उनके साथ रहे। मेहदी हसन के बारे में वो कहते हैं कि "उन्होंने अपनी ग़ज़लों में शास्त्रीय संगीत को पिरोया था इसलिए मै उनका फैन था।"
लेकिन उस वक़्त तलत अज़ीज़ का हाँथ थामाँ जगजीत सिंह ने और उन्हीं के निर्देशन में फरवरी 1980 में अपना पहला एल्बम रिलीज़ किया,इस एल्बम का नाम था 'जगजीत सिंह प्रेज़ेंट्स तलत अज़ीज़' जो ज़बरदस्त हिट रहा। इस एल्बम की कुछ ग़ज़लें जैसे-'कैसे सुकून पाऊँ...'और'चाहेंगे तुझे पर...' आज भी संगीत प्रेमियों की फेहरिस्त में शामिल हैं। इस कामियाबी के बाद अगले साल ही संगीत निर्देशक खय्याम साहब ने उन्हें फ़िल्म 'उमराव जान' की वो मशहूर ग़ज़ल गाने का ऑफर दे दिया जिसने एक और परचम लहरा दिया इसके बोल थे 'ज़िंदगी जब भी...'ये अभी लोगों की ज़ुबाँ पर ही थी कि खय्याम के ही संगीत निर्देशन में आपने गाई,'बाज़ार'फिल्म की ग़ज़ल "फिर छिड़ी रात बात फूलों की..." जिसे आपने स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के साथ गाया था। फिर तलत साहब ने राजेश रोशन की फ़िल्म 'डैडी' में 'आईना मुझसे मेरी..'ग़ज़ल गाकर संगीत प्रेमियों के दिलों में ऐसी छाप छोड़ी जिसने उन्हें एक आला मक़ाम दिलाया।

अपने हुनर को किसी दायरे में नहीं बाँधा:-

तलत साहब ने संगीतकार लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल और राजेश रोशन के लिए कई गाने गाए। टीवी सीरिअल्स के लिए भी संगीत तैयार किया -जिनमें कुछ ख़ास नाम है दीवार,बाज़,अधिकार,घुटन,सैलाब,आशीर्वाद और नूरजहाँ । इसके अलावा आपने 'मिजाज़-ए-ग़मे-दिल क्या करूं' फिल्म का म्यूज़िक बनाया और गाने भी गाए।

बेहतरीन एक्टर भी हैं :-

तलत साहब केवल गुलूकार और मौसिक़ार ही नहीं हैं बल्कि वो बेहतरीन अदाकार भी हैं और उनकी ये फेहरिस्त भी छोटी नहीं है,तो आइये एक नज़र डालते हैं- कुछ टीवी सिरिअल्स में भी आपने एक्टिंग की है जैसे - साहिल, मंजिल, दिल अपना और प्रीत पराई और नूरजहां फिर महेश भट्ट द्वारा निर्देशित फिल्म 'धुन' में मुख्य भूमिका निभाई, 2015 में,आप फिल्म 'फितूर' में दिखाई दिए, 2023 में,ड्रामा 'गुलमोहर' में शानदार भूमिका निभाई और फिर फिल्म'फाइटर' में ऋतिक रौशन के पिता के रोल में अपनी अदाकारी के जलवे बिखेरे।


एक बेहतरीन म्यूज़िक टीचर भी हैं :-

संगीत सिखाने का ख्याल तलत अज़ीज़ को तब आया जब दुनिया रुक सी गई थी , 2020 में महामारी की वजह से लेकिन फिर जब हालात थोड़ा सुधरे तो उन्होंने उन लोगों को संगीत सिखाना शुरू किया जो इस फील्ड में अभी नये थे और संगीत सीखने की चाहत रखते थे पर उस दौरान की गई उनकी ये छोटी सी पहल रंग ला चुकी है और अब उनके शागिर्दों में काफी इज़ाफ़ा हो चुका है।

मेहन्दी हसन ने गाया भजन :-

तलत अज़ीज़ ने कई एल्बम बनाए जैसे- तलत अज़ीज़ लाइव,इमेजेस ए टीम कम ट्रू,लहरें, एहसास, सुरूर, सौग़ात,तसव्वुर,मंज़िल, तूफ़ान,धड़कन,शाहकार,महबूब,खूबसूरत,इरशाद,खुशनुमा,कारवां ए ग़ज़ल'और ए ट्रिब्यूट टू हिज़ मास्टर'भी रिकॉर्ड किया,जो मेहंदी हसन को समर्पित था।
उनके एलबम्स के अलावा लाइव परफॉर्मेंस भी दिल को छू लेती हैं और उनके गाए 'याद आने वाले','लागी प्रेम धुन लागी' और 'मैं आत्मा' जैसे दिलनशीं नग़में हमें हमेशा याद आते रहते हैं एक बात हम आपको और बता दें कि मेहंदी हसन साहब ने तलत के साथ मिलकर पहली बार किसी भारतीय फिल्म में भजन "मैं आत्मा तू परमात्मा" गाया था।

कुछ रिकॉर्ड भी बनाए :-

तलत अज़ीज़ पहले ऐसे ग़ज़ल सिंगर हैं जिन्होंने 1987 में "तसव्वुर" नाम से ग़ज़ल संगीत वीडियो रिलीज़ किया था फिर 2016 में उन्होंने 'वो शाम' बनाया जो ग़ज़ल का पहला डिजिटल ऑडियो और वीडियो एल्बम था। उन्होंने परसेप्ट इंडिया के लिए बॉलीबूम नाम का बॉलीवुड इलेक्ट्रो म्यूज़िक फेस्टिवल का भी आयोजन किया, जो नवंबर 2013 से पूरे भारत और विश्व भर में आयोजित किया गया।
तलत अज़ीज़ चार दशकों से भी ज़्यादा वक़्त से हमारे लिए संगीत का नज़राना ला रहे हैं। उन्होंने प्रसिद्ध चित्रकार/कला क्यूरेटर बीना अज़ीज़ से शादी की है और आपके दो बेटे अदनान अज़ीज़ और शायान अज़ीज़ हैं।














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