सब कुछ सबके नसीब में नहीं होता…

न्याज़ियामंथन। बहुत बार दिल नहीं मानता कि हर चीज़ हमें नहीं मिल सकती, हमारी कोशिशें नाकाम होती रहती हैं और हम उसे पाने की ज़िद में अपनी एनर्जी और वक़्त... Read More

क्या ज़िंदगी से मायूस हो जाना सही है

न्याज़ियामंथन। जब किसी मुश्किल का हल न समझ आए, ग़मों की अंधेरी रात ढलने का नाम ही न ले तो क्या ज़िंदगी से मायूस हो जाना, रुक जाना सही है,... Read More

क्या जो भी हमारे साथ ग़लत करे उससे नाराज़ होना या समझाना ज़रूरी

न्याज़िया मंथन। क्या जो भी हमारे साथ ग़लत करे उससे नाराज़ होना या समझाना ज़रूरी है कि उसने कुछ ग़लत किया है जबकि उसे अपनी ग़लती का ख़ुद से एहसास... Read More