यादों में आपातकाल भाग-3, राहुकाल से लोकतंत्र के निकलने की शेषकथा! -जयराम शुक्ल

Author Jayram Shukla | चाटुकारिता भी कभी-कभी इतिहास में सम्मान योग्य बन जाती है। आपातकाल के उत्तरार्ध में यही हुआ। पूरे देश भर से चाटुकार काँग्रेसियों और गुलाम सरकारी मशीनरी ने इंदिरा... Read More

यादों में आपातकाल भाग-2, जब जेपी की हुंकार से सिंहासन हिल उठे! -जयराम शुक्ल

Author Jayram Shukla | कांग्रेस के अध्यक्ष देवकांत बरुआ का नारा इंदिरा इज इंडिया गली कूँचों तक गूँजने लगा। इसी बीच मध्यप्रदेश में पीसी सेठी को हटाकर श्यामाचरण शुक्ल को मुख्यमंत्री बनाया... Read More

यादों में आपातकाल भाग-1, इंदिरा की जेल में नेता, गुंडे, गिरहकट एक भाव! -जयराम शुक्ल

Author Jayram Shukla | पंद्रह अगस्त, छब्बीस जनवरी यदि सरकारी आयोजन न होते तो पब्लिक इन्हें कब का भुला चुकी होती। लेकिन कुछ ऐसी तिथियां हैं जिन्हें राजनीति तब तक... Read More

राजनीति के मूल स्वर से गायब होता जन-मन-गण! FT. जयराम शुक्ल

Author Jayram Shukla | आजादी के बाद से अबतक में समाज, चुनाव और मीडिया 360 डिग्री घूम चुका है, बदल चुका है। यदि नहीं बदला है तो चुनाव को लेकर... Read More

निरा’आधार’ जिन्दगी का ग्रोथ रेट.. साँच कहै ता..जयराम शुक्ल

लेख : जयराम शुक्ल | आज से कोई बारह-चौदह साल पहले जब यूपीए सरकार ने यूनिक आईडी की अवधारणा दी थी तब स्तंभकार व मैनेजमेंट गुरू रघुरामन ने इसकी बड़ी... Read More