दुनिया कौन होती है हमें…

न्याज़िया मंथन। दुनिया कुछ भी कहे, हम अच्छे हैं ,बुरे हैं या अजीब हैं तो हमें क्यों फर्क पड़ता है? आख़िर दुनियां वाले हमारी तारीफ या बुराई भी करें तो... Read More

जब ज़िद पर अड़ जाए हम…

न्याज़ियामंथन। कई बार हमारा मन ज़िद पर अड़ जाता है पर हर ज़िद को मान लेना अच्छा नहीं होता कई बार खुद को मना लेना भी अच्छा होता है, नहीं!... Read More

क्या किसी को छोड़ना, भूलना कागज़ को फाड़ देने जितना आसान है!

मंथन। क्या रिश्ते कागज़ी होते हैं, क्या किसी को छोड़ना भूलना कागज़ को फाड़ देने जितना आसान होता है नहीं न! शायद ये बहुत मुश्किल काम है और उतना ही... Read More

क्या है जीवन का गणित…

न्याज़िया मंथन। आपको नहीं लगता,पोथी पढ़के विद्वान बनना और बुद्धिमान बनके विवेक से काम लेना जीवन को संवारना दोनों अलग अलग बातें हैं क्योंकि किताबें पढ़ कर हम दुनिया के... Read More

आशाएं और हम…

न्याज़िया मंथन। कहते हैं उम्मीद पे दुनिया क़ायम है हां शायद हम उम्मीद से बंधे हुए हैं इन्हीं के सहारे जीते हैं और इन्हें के टूटने पर ज़ख्मी हो जाते... Read More

किसी भी प्यार को पाने के लिए साधना करनी पड़ती है, जो छूट गया वो…

न्याज़ियामंथन। आपको नहीं लगता कभी-कभी हमारे पैर तो आगे बढ़ जाते हैं पर हम आगे नहीं बढ़ पाते, हमारा दिल दिमाग पिछली बातों को भूल नहीं पाता, उन लोगों के... Read More

कैसे चुनें परफेक्ट जीवनसाथी !

न्याज़ियामंथन। क्या आप जानते हैं हमसफर में ऐसा क्या देखें !जिसके आगे सब फीका पड़ जाए ,शायद बहुत से लोग नहीं जानते इसीलिए हमारी युवा पीढ़ी हमसफर चुनने के पहले... Read More