न्याज़ियामंथन। माना कि हम बहोत गुणीं हैं बहुत क़ाबिल हैं पर क्या अपनी तारीफ करना सही है ?अपने लिए बड़े-बड़े दावे करना सही है? कहीं ये कॉन्फिडेंस ,ओवर कॉन्फिडेंस तो... Read More
न्याज़िया बेगम, मंथन/ कल की एक ख़ुशी का उस लम्हे का जिसमें हमें खुशियों का सामान जुटाना है अपने लिए, अपने अपनों के लिए पर क्या ये सही है? क्या... Read More
न्याज़िया बेगममंथन। नहीं न? सरलता क्या है हम आसानी से सामने वाले कि बात मान लेते हैं या उसकी सुविधा के अनुसार खुद को ढाल लेते हैं, ज़ाहिर है जिसकी... Read More