क्या ज़िंदगी से मायूस हो जाना सही है

न्याज़ियामंथन। जब किसी मुश्किल का हल न समझ आए, ग़मों की अंधेरी रात ढलने का नाम ही न ले तो क्या ज़िंदगी से मायूस हो जाना, रुक जाना सही है,... Read More

क्या जो भी हमारे साथ ग़लत करे उससे नाराज़ होना या समझाना ज़रूरी

न्याज़िया मंथन। क्या जो भी हमारे साथ ग़लत करे उससे नाराज़ होना या समझाना ज़रूरी है कि उसने कुछ ग़लत किया है जबकि उसे अपनी ग़लती का ख़ुद से एहसास... Read More

अच्छा होगा कि हम बर्दाश्त करना सीखे, धैर्य से काम लें

न्याज़ियामंथन। आपको क्या लगता है क्या ज़्यादा मुश्किल है ? किसी की बात का पलट के जबाब देना या सुन लेना, बर्दाश्त कर लेना और सब भूलकर सामान्य हो जाना,... Read More

छोटी मोटी परेशानियां अच्छी हैं!

न्याज़ियामंथन। आपको नहीं लगता कि हमेशा हम डरते रहते हैं कि किसी परेशानी में न पड़ जाए और हमारे अपने हमारे लिए परेशान न हो जाएं लेकिन कभी आपने सोचा... Read More

क्या वास्तव में औरत कंमजोर है!

न्याज़ियामंथन। औरत कौन होती है वो लड़की जिसकी क़ुव्वत क़ुदरत धीरे-धीरे उसे बता देती है इसके बावजूद दुनिया कहती है कि वो कमज़ोर है और वो कभी-कभी तो मान भी... Read More

हर समय दुखी रहने से हम हो जाते है अकेले!

न्याज़ियामंथन। आपको नहीं लगता कि हर वक़्त दुखी रहने से हम अकेले रह जाते हैं शायद इसलिए कि कोई भी बहुत देर तक रोना नहीं चाहता, आपसे थोड़ी सहानुभूति दिखाने... Read More

क्या अपनी तारीफ करना सही है?

न्याज़ियामंथन। माना कि हम बहोत गुणीं हैं बहुत क़ाबिल हैं पर क्या अपनी तारीफ करना सही है ?अपने लिए बड़े-बड़े दावे करना सही है? कहीं ये कॉन्फिडेंस ,ओवर कॉन्फिडेंस तो... Read More

आख़िर क्या चाहते हैं हम!

न्याज़ियामंथन। क्या हम सब जानते हैं कि आखिर हमें क्या चाहिए ? हमारा सुख कहां छुपा है ? क्या ,उसकी तलाश में हैं हम ?या फिर दुखी मन से बस... Read More

दिल की बात कहें? तो किससे कहें?

न्याज़ियामंथन। कैसे ढूंढे? उस इंसान को जो हमारी मजबूरियों का फायदा न उठाएं! शायद आज की दुनियां में ये काम सबसे मुश्किल है ,क्योंकि आज हर इंसान ,दूसरे का फायदा... Read More

कब हम दूसरों को इल्ज़ाम देना बंद करेंगे ?

न्याज़िया बेगममंथन। क्या हर दफा ग़लती सामने वाले की ही होती है और अगर हो भी तो क्या इसमें हमारी कोई भागीदारी नहीं होती ?सामने वाले का बदला हुआ व्यवहार... Read More

आपको नहीं लगता कि हमें एक दो नहीं बल्कि कई लोगों से शिकायत हो जाती है? क्यों!

न्याज़िया बेगममंथन। उसने ऐसा नहीं किया ,वैसा नहीं किया! जबकि ऐसा नहीं है कि वो काम हम खुद अच्छे से कर पाते हों या हो सकता हम वो, कर ही... Read More

क्या वाक़ई! हर मुश्किल का हल होता है?

न्याज़िया बेगममंथन। हर मुश्किल का हल अगर होता है तो हमें क्यों नहीं मिलता, क्या कुछ अलग नज़रें चाहिए, उस हल को देखने के लिए, बड़ा आत्मविश्वास चाहिए और धैर्य... Read More