न्याज़ियामंथन। अक्सर परिस्थितियां हमें तोड़ कर रख देती हैं लेकिन आपको नहीं लगता कि जिसके […]
Tag: मंथन जरूरी
आशाएं और हम…
न्याज़िया मंथन। कहते हैं उम्मीद पे दुनिया क़ायम है हां शायद हम उम्मीद से बंधे […]
बस वक़्त की क़ीमत होती है…
न्याज़िया मंथन। वक़्त का तकाज़ा देखकर ही चलना चाहिए जब जो वक़्त कहे वो करना […]
क्या हर बार सम्मान की इच्छा सही है!
न्याज़िया मंथन। जब हम कुछ अच्छा काम करते हैं तो दिल में ही सही पर […]
आप को नहीं लगता ,आज की दुनिया में हर शख़्स परेशान सा है!
न्याज़िया मंथन। सब कुछ होते हुए भी हम जीवन का आनंद नहीं ले पाते कभी […]
ज़िंदगी क्या सच में एक पहेली है!
न्याज़िया मंथन। ज़िंदगी क्या सच में एक पहेली है जिसका जवाब ढूंढना बहुत मुश्किल है,जैसे […]
सब कुछ सबके नसीब में नहीं होता…
न्याज़ियामंथन। बहुत बार दिल नहीं मानता कि हर चीज़ हमें नहीं मिल सकती, हमारी कोशिशें […]
क्या महिला, पुरुष एक दूसरे से बिल्कुल जुदा सोच रखते हैं ?
न्याज़ियामंथन। क्या औरत का दिल आदमियों से कुछ अलग धड़कता है उसके एहसासात, जज़्बात कुछ […]
इस तरह वक्त तो गुज़र जाता है…
न्याज़िया मंथन। जब हम खाली होते हैं तो मनोरंजन के साधन ढूंढते हैं दिल बहलाने […]
करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान। रसरी आवत-जात ते सिल पर परत निशान
न्याज़िया मंथन। अगर दिल में किसी काम को करने की लगन है फिर भी हम […]